Thursday, November 30, 2023

Sundartam Rajyog Panch Mahapurush Hans Rajyog

The most beautiful Rajayoga of astrologyज्योतिष का सुंदरतम राजयोग 

आज हम जिस योग के बारे में बात करने जा रहे हैं उसका निर्माता ग्रह बृहस्पति है, जिनको देव गुरु के नाम से भी ख्याति मिली हुई है। बृहस्पति की खासियत यह है कि नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रहों में यह सर्वाधिक शुभ ग्रह की श्रेणी में आते हैं और एक वृद्धि कारक ग्रह हैं। इनकी दृष्टि अमृत के समान मानी जाती है। यह धनु राशि और मीन राशि के स्वामी हैं तथा कर्क राशि में अपनी उच्च अवस्था में और मकर राशि में अपनी नीच अवस्था में माने जाते हैं। इनके मुख्य नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद आते हैं।

देव गुरु बृहस्पति ज्ञान के देवता हैं इसलिये जिस व्यक्ति पर देव गुरु बृहस्पति की कृपा हो जाए वह व्यक्ति बुद्धिमान होता है। अपने सहज ज्ञान के आधार पर वह जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होता है। बृहस्पति देव संतान के कारक ग्रह कहे जाते हैं और इतना ही नहीं, विवाह के लिए भी बृहस्पति देव की प्रमुख भूमिका मानी जाती ।है इस प्रकार दांपत्य सुख प्रदान करने में देव गुरु बृहस्पति का कोई सानी नहीं है। यह धन प्रदाता ग्रह भी माने जाते हैं इसलिए बृहस्पति देव की कृपा से व्यक्ति को जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। उसका ज्ञान विस्तृत होता है जिससे बड़े से बड़े लोग भी उसके सामने नतमस्तक होते हैं और वह जीवन में तरक्की के शिखर पर पहुंच जाता है।

Sundartam Rajyog Panch Mahapurush Hans Rajyog


Hans Yoga is one name in the series of Panch Mahapurush Yogas पंच महापुरुष योगो की शृंखला मे एक नाम हंस योग का आता है-

जिस भी जातक की जनम कुंडलीमें हंस योग बनता है वह जातक व्यक्तित्व का धनी यानी कि बेहद आकर्षक होता है। उसका रंग साफ़ और माथा चौड़ा होता है। न सिर्फ व्यक्तित्व से बल्कि जिस भी जातक की जनम कुंडलीमें यह दुर्लभ योग बनता है, वह सुखी दांपत्य जीवन, उत्तम संतान, उत्तम शिक्षा, धन से परिपूर्णता तथा लोगों के प्रति सहज भावना ऐसे व्यक्ति की विशेषता होती है। जातक को बता दें कि भगवान राम और भगवान कृष्ण की जनम कुंडलीमें भी हंस पंच महापुरुष योग था।

पंच महापुरुष योगों को वैदिक ज्योतिष में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है और इन्हीं पंच महापुरुष योगों में से एक योग है हंस पंच महापुरुष योग। इसके प्रभाव से व्यक्ति की गणना समाज के गणमान्य और विद्वान जनों में होती है जिससे उसकी सामाजिक स्थिति मजबूत होती है और लोगों द्वारा सम्मान मिलता है। लोग अपने काम में उचित सलाह लेने के लिए उसके पास आते हैं और इससे दिन प्रतिदिन व्यक्ति उन्नति करता है। इस योग में जन्मा जातक जीवन भर इसी प्रयास में रहता है कि वह स्वयं एक अच्छा व्यक्ति बना रहे और दूसरों की भलाई करे। वह अपने ज्ञान और बुद्धि के बल पर जीवन में तरक्की की सीढ़ी चढ़ता चला जाता है और अंततः अपने मुकाम को हासिल कर लेता है।

A person born in Hans Yoga हंस योग में जन्मा जातक

हंस योग में जन्मा जातक अपने बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करने वाला होता है. इस योग के प्रभाव के कारण जातक अपनी शिक्षा के प्रति भी गंभीर होता है, और प्रयास करता है की किसी न किसी प्रकार से अपने ज्ञान को बढ़ा सके. जातक सुन्दर, आकर्षक व्यक्तित्व का, चेहरे पर लालिमा और कांति लिए होता है. सुंदर नेत्रों वाला और बेहतर वाक चातुर्य से युक्त होता है. जातक को अपने लोगों का स्नेह भी प्राप्त होता है.
अपने पिता के मान को बढ़ाने वाला होता है. परिवार में अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान और जागरुक भी होता है. कुछ मामलों में जातक किसी संस्था अथवा लोगों के पथ प्रदर्शक के रुप में भी काम कर सकता है. इस योग के प्रभाव से जातक हंसमुख होता है और मिलनसार भी होता है. अपने प्रभाव के कारण वह लोगों के मध्य उत्तम स्थान भी पाता है. जातक विनम्र होता है और कोशिश करता है की दूसरों के लिए किसी न किसी प्रकार से मददगार भी हो सके.
हंस योग की शुभता व्यक्ति को धनवान बनाने में भी सहायक बनती है. कुण्डली में बना कोई बहुत ही शुभ योग जातक को आर्थिक रुप से किसी न किसी तरह की मजबूती देने में भी सहायक बनता है. जातक में धर्म-कर्म के कामों को करने के प्रति जागरुकता भी होती है.
जातक का स्वादिष्ट भोजन के प्रति रुझान होता है. अपने मन मर्जी का काम करने की इच्छा अधिक रहती है. जातक में अहम भी होता है वह स्वयं की बातों को लेकर ज्यादा गंभीर रहता है. उसकी कोशिश भी रहती है की वह जीवन में सफलता को पा सके. महत्वकांक्षाएं भी अधिक होती हैं.

बृहस्पति ग्रह और ज्ञान

सूर्य, मंगल और चंद्रमा बृहस्पति देव के परम मित्र ग्रह कहलाते हैं। राहु के साथ स्थित होकर बृहस्पति देव गुरु चांडाल जैसा दुर्योग निर्मित करते हैं तो चंद्रमा के साथ स्थित होने पर गजकेसरी जैसा महान और शक्तिशाली शुभ योग बनाते हैं। जिस व्यक्ति पर देव गुरु बृहस्पति की कृपा हो जाए उसके जीवन में सुखों की कोई कमी नहीं होती। वह ज्ञान का दीपक बन जाता है और ऐसा व्यक्ति कोई टीचर, प्रोफेसर, शैक्षणिक कार्य में सिद्धहस्त हो जाता है। उसे समाज द्वारा बहुत मान सम्मान मिलता है और उसकी गणना समाज के विद्वान लोगों में होती हैं। वह अपने ज्ञान के बल पर चारों दिशाओं में अपना नाम कमाता है और उच्च पद पर आसीन होता है।

Rajyoga formed by planets ग्रहों से बनने वाले राजयोग

ग्रहों द्वारा विशेष प्रकार के योगों का निर्माण जनम कुंडलीमें किया जाता है जिन्हें राजयोग कहा जाता है। वास्तव में राज योग क्या होते हैं और यह कब बनते हैं, इसे जानने के लिए वैदिक ज्योतिष के एक महान ग्रंथ सारावली, जिसकी रचना श्री कल्याण वर्मा जी ने की थी, उसी ग्रंथ का का यह श्लोक पूरी तरह से हमारी मदद करता है:-
स्वक्षेत्रे च चतुष्टये च बलिभिः स्वोच्चस्थितैर्वा ग्रहैः
शुक्राअंगारकमन्दजीवशशिजैरेतैर्यथानुक्रमम्।
मालव्यो रुचकः शशोऽथ कथितो हंसश्च भद्रस्तथा
सर्वेषामपि विस्तरं मतिमतां संक्षिप्यते लक्षणम्॥२॥
इसके अनुसार यदि जन्म जनम कुंडलीमें शुक्र, अंगारक अर्थात् मंगल, मंद अर्थात् शनि, जीव अर्थात गुरु बृहस्पति और बुध अपनी राशि में या अपनी उच्च राशि में बली होकर जनम कुंडलीके केंद्र भाव अर्थात प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव अथवा दशम भाव में स्थित हों तो शुक्र से मालव्य योग, मंगल से रूचक योग, शनि से शश योग, बृहस्पति से हंस योग और बुध से भद्र नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होता है।
इस लेख के माध्यम से जातक बृहस्पति ग्रह द्वारा बनने वाले हंस पंच महापुरुष योग के बारे में आसानी से सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यदि जातक जानना चाहते हैं कि क्या जातक की जनम कुंडलीमें यह योग बन रहा है अथवा अगर बन रहा है तो उस योग का जातक को क्या फल मिलेगा और यह योग कब फलीभूत होगा तो इस सब के बारे में जानकारी पाने के लिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

What is Hans Panch Mahapurush Yoga? हंस पंच महापुरुष योग क्या है?

वास्तव में हंस पंच महापुरुष योग जातक को हंस के समान क्षमताएं प्रदान करता है जो कि बहुत ही सौम्य होता है। अपने उद्देश्य के प्रति पूरी तरह समर्पित होता है। उसकी एकाग्रता बहुत अच्छी होती है तथा वह सही और गलत में भेद करना जानता है। ये सभी गुण हंस पंच महापुरुष योग वाली जनम कुंडलीके जातक के व्यवहार में भी परिलक्षित होते हैं। यदि जातक की जनम कुंडलीमें यह योग बनता है तो जातक बहुत ही भाग्यशाली होंगे और जातक के जीवन में किसी भी सुख की कमी नहीं होगी, इसलिए कहा जा सकता है कि हंस पंच महापुरुष योग वाला व्यक्ति काफी भाग्यशाली होता है।
हंस पंच महापुरुष योग देव गुरु बृहस्पति की विशेष कृपा का द्योतक है। यह योग देव गुरु बृहस्पति की जनम कुंडलीके केंद्र भावों में विशेष परिस्थिति में स्थित होने पर बनता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति समस्त प्रकार के सुखों का आनंद लेता है और उसका ज्ञान भी विकसित होता है। वह जीवन में सही रास्ते पर चलने में सक्षम होता है और अपने चारों ओर के लोगों को प्रभावित करने में सक्षम होता है। ऐसे योग वाले व्यक्ति दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं और लोग उनकी बात सर झुका कर भी मान सकते हैं। ऐसे लोगों को अपने गुरु का सानिध्य मिलता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में अनेक कामों में सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति स्वयं भी अच्छे गुरू या मार्गदर्शक साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि अनेक लोगों का आना-जाना इनके पास लगा रहता है, जो अपने कामों में इनसे महत्वपूर्ण सलाह लेते हैं और इन सलाहों के आधार पर अपने कामों को करते हैं।
इस महान राज योग का जनम कुंडलीमें उपस्थित होने से जातक के जीवन में सफलता, समृद्धि और प्रगति का द्योतक है। इस योग के प्रभाव से जातक को उत्तम जीवन साथी और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। जातक धनवान बनते हैं। जातक समाज के माननीय लोगों में शामिल होते हैं और जातक दांपत्य जीवन भी प्रेम से परिपूर्ण रहता है।

How is Hans Yoga formed? हंस योग कैसे बनता है?

हंस योग बृहस्पति से बनने वाला पंच महापुरुष योग भी है. बृहस्पति को ज्योतिष में सबसे अधिक शुभ ग्रह कहा गया है, इस कारण इस इससे बनने वाले योग की शुभता को समझने में अधिक देर नहीं लगती है. जन्म कुण्डली में गुरु जिसे बृहस्पति भी कहा जाता है अगर केन्द्र भाव में, चतुर्थ भाव में, सातवें भाव में या फिर दसवें भाव में अपनी राशि में स्थित हो या फिर उच्च राशि का बैठा हुआ हो तो कुण्डली में हंस योग का निर्माण होता है.
इस योग को चंद्र कुण्डली से देखें तो चंद्र से अगर केन्द्र, चतुर्थ, सप्तम अथवा दशम भाव में गुरु इसी स्थिति में अपनी राशि या उच्च राशि का हो तो हंस योग बनता है. हंस योग के कारण जन्म कुण्डली में मौजुद कई खराब योग समाप्त हो जाते हैं.

Personality of the person having Hans Panch Mahapurush Yoga हंस पंच महापुरुष योग के जातक का व्यक्तित्व

वैदिक ज्योतिष के ग्रंथों में इस हंस योग का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार यदि जातक की जनम कुंडलीमें यह हंस योग विद्यमान है तो इसकी उपस्थिति होने के कारण जातक के पैर बड़े सुंदर होते हैं और लंबी नाक होती है। मुंह पर लालिमा होती है तथा जातक कफ प्रकृति वाले होते हैं। जातक के रंग रूप में गौर वर्ण की स्थिति का निर्माण होता है। इस योग में जन्मा व्यक्ति कामदेव के समान सुंदर और सुखी होता है तथा विभिन्न प्रकार के शास्त्रों को जानने वाला होता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी काम में निपुण होता है और गुणवान होता है। वह अच्छे काम करता है और उसका चित्त भी प्रसन्न रहता है और वह सभी को सुख देता है। वह स्वयं भी जीवन भर विद्वानों की श्रेणी में रहता है और खूब धन और उच्च पद प्राप्त करता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति ज्ञानी होता है तथा उसमें दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता होती है।हंस पंच महापुरुष योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति अत्यंत भाग्यशाली होता है। उसकी मुखाकृति में उसके होंठ, तालू और जिव्हा लाल रंग के होते हैं। गौरतलब है कि होंठ, जीभ और तालु का लालिमा लिए हुए होना सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। उनकी ऊंची नाक, अच्छे पैर और स्वर हंस के समान होता है। वह व्यक्ति कफ प्रधान प्रकृति का होता है और गौर वर्ण का होता है तथा ऐसे व्यक्तियों का जीवन साथी भी सौम्य होता है। ऐसे व्यक्ति को कामदेव के समान सौंदर्य वान, सुखी, सभी प्रकार के शास्त्रों का ज्ञान रखने वाला और कुशल बताया गया है। इस योग में जन्मे जातक में गुणों की अधिकता पाई जाती है और वे अति निपुण होते हैं तथा अच्छे कार्य के कारण नाम कमाते हैं। इनका आचार और विचार अच्छा होता है और ये लंबी आयु प्राप्त करते हैं। यही कारण है कि हंस योग में जन्मा व्यक्ति सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करता है और भाग्योदय के कारण समस्त प्रकार के कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।

Result of Hans Yoga formed in different houses in Janam Kundli -जनम कुंडलीमे विभिन्न भावो मे बनने वाले हंस योग का फल -

  1. जनम कुंडली के पहले घर में बनने वाला हंस योग जातक को उसके व्यवसाय, धन, संपत्ति, प्रतिष्ठा तथा आध्यात्म से संबंधित शुभ फल प्रदान कर सकता है।
  2. जनम कुंडली के चौथे घर में बनने वाला हंस योग जातक को किसी धार्मिक अथवा आध्यात्मिक संस्था में किसी प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वाले पद की प्राप्ति करवा सकता है तथा ऐसे जातक आध्यात्मिक रूप से भी बहुत विकसित हो सकते हैं।
  3. सातवें घर का हंस योग जातक को एक धार्मिक तथा निष्ठावान पत्नि प्रदान कर सकता है तथा ऐसा जातक अपनी धार्मिक अथवा आध्यात्मिक उपलब्धियों के चलते राष्ट्रीय अथवा अंतर राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर सकता है।
  4. दसवें घर का हंस योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम दे सकता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक अपने व्यवसायिक क्षेत्रों में नई उंचाईयों को छूते हैं और नए कीर्तिमान स्थापित करते हैं।
जब भी लग्न जनम कुंडलीमें बृहस्पति एक कारक अथवा सम ग्रह बनकर केन्द्र भाव में स्वगृही अथवा उच्च का हो जाए, तब इस योग का निर्माण होता है। परन्तु कुछ ही लग्नों के लिए यह योग शुभ फलदायक होता है। जो है मेष लग्न,मिथुन लग्न,कर्क लग्न,कन्या लग्न, धनु लग्न, मीन लग्न
ऐसे योग में पैदा हुआ जातक,यदि बृहस्पति अंश बलाबल में हुआ तो उसकी दशा के दौरान धन, सुख, भाग्य, संतान, ज्ञान, मान, यश, धर्म, कर्म आदि से उच्च लाभ प्राप्त करता मिलता है। ऐसा जातक उस दौरान काफ़ी प्रसिद्धि पाता है एवं शुद्ध आचरण करने वाला होता है। उदाहरण के लिए, भगवान श्री राम की जन्म जनम कुंडलीमें हंस योग बनता है, जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।

Importance of Hans Panch Mahapurush Yoga हंस पंच महापुरुष योग का महत्व

  1. यदि जातक का जन्म हंस नामक पंच महापुरुष योग में हुआ है तो इस योग में जन्म लेने के कारण जातक का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक होगा और दूसरे लोग जातक की ओर आकर्षित रहेंगे।
  2.  जातक को सदैव ही स्वादिष्ट और अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का आनंद लेने का मौका मिलेगा और जातक नैतिक रूप से भी चरित्रवान होंगे। समाज के बुद्धिमान और सम्माननीय लोग और शिक्षाविद जातक की सराहना करेंगे। जातक की गणना समाज के गणमान्य विभूतियों में होगी।
  3.  जातक की छवि एक उदारवादी और परोपकारी व्यक्ति की होगी क्योंकि जातक सदैव दूसरों के काम आना पसंद करते हैं। जातक विपुल धन अर्जित करने में समर्थ होंगे और स्वार्थी ना होकर मिलजुल कर उस धन का आनंद लेने में जातक को अच्छा महसूस होगा।
  4.  जातक को सरकारी तंत्र का लाभ मिलेगा तथा सरकार अथवा सरकारी संस्थाओं से भी जातक को सराहना और प्रशंसा प्राप्त होगी और समय-समय पर जातक को उनके द्वारा पुरस्कृत भी किया जा सकता है।

 जीवन में राजयोग का बहुत महत्व होता है क्योंकि यदि यह योग हमारी जनम कुंडलीमें निर्मित होते हैं और इनसे संबंधित ग्रह की दशा हमें प्राप्त होती है तो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं तथा हम ज्ञानवान बनते हैं। यही वजह है कि हंस पंच महापुरुष योग वाले व्यक्ति को अपने जीवन में किसी समस्या का समाधान पाने में ज्यादा परेशानी नहीं होती और वह अपने ज्ञान और निपुणता के बल पर हर चुनौती का समाधान निकालने में सक्षम होते हैं और जीवन में प्रगति के पथ पर उत्तरोत्तर वृद्धि करते रहते हैं।

Result of Hans Panch Mahapurush Yoga हंस पंच महापुरुष योग का फल

महान ग्रंथ सारावली के अनुसार भी हंस योग में जन्मे जातकों को लगभग इसी प्रकार के फलों की प्राप्ति होती है। वे इससे आगे बढ़कर कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का जन्म उसकी जनम कुंडलीमें हंस योग के साथ होता है तो ऐसा व्यक्ति लालिमा लिए हुए मुख्य मंडल वाला ,ऊंची नाक और सुंदर पैरों वाला तथा प्रसन्नचित्त व्यक्ति होता है। ऐसा व्यक्ति शुद्ध गौर वर्ण, मोटे गालों वाला और लालिमा लिए हुए नाखूनों वाला होता है। उसके शरीर में कफ का आधिक्य होता है और हंस के समान उसके शब्द होते हैं। उसके हाथ व पैरों में शंख, कमल, अंकुश, रज्जू, दो मीन अर्थात् मछलियाँ, शैय्या, धनुष, आदि की रेखाएं होती हैं। ऐसे व्यक्ति का मस्तक गोल होता है। इन्हें जल के समीप वाले स्थान अति प्रिय होते हैं। यह काम से पीड़ित हो सकते हैं। ऐसे जातक तोल में 1600 तुला होते हैं और इनकी लंबाई 96 अंगुल होती है। जिनका जन्म इस योग में होता है, वह पुरुष शूरसेन, गांधार और गंगा जमुना के मध्य देशों के पालक होते हैं तथा सौ वर्ष की आयु प्राप्त करके वनान्त में मृत्यु को प्राप्त होते हैं। वस्तुतः जो कुछ इन श्लोकों में लिखा है, यह उस समय के हिसाब से तो समुचित है जब इन ग्रन्थों की रचना की गई थी लेकिन वर्तमान समय में भी देश काल और परिस्थिति के अनुसार इनके परिणाम जाने जा सकते हैं। इससे इस बात का ज्ञान होता है कि हंस योग में जन्मा व्यक्ति काफी बुद्धिमान होता है और वह हंस के समान धीर व विवेकी होता है क्योंकि जिस प्रकार एक हंस जल और दूध को मिला देने से भी उसमें से जल और दूध को अलग-अलग करने की सामर्थ्य रखता है, उसी प्रकार हंस योग में जन्मे जातक भी अच्छाई और बुराई दोनों में आसानी से भेद कर सकते हैं और सद् मार्ग को चुनने वाले होते हैं।
जिस व्यक्ति की जनम कुंडलीमें हंस योग विद्यमान होता है, वैसे तो उसके जीवन में इस योग के फल प्रारंभ में ही दिखाई देने शुरू हो जाते हैं लेकिन इन फलों में बढ़ोतरी तब होती है जब उसकी जनम कुंडलीमें इस योग का निर्माण करने वाले ग्रह अर्थात बृहस्पति की महादशा आती है। इस महादशा में व्यक्ति को हंस योग के सभी फल मिलने लग जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यदि बृहस्पति की अंतर्दशा अथवा प्रत्यंतर दशा शुभ ग्रह की महादशा के अंतर्गत आती है तो भी इस पंच महापुरुष योग के फल दिखाई देने लग जाते हैं।

Effects of Hans Yoga हंस योग के प्रभाव

हंस योग में जन्म लेने वाले जातक बहुत कर्तव्य परायण होते हैं यह अपने माता-पिता परिवार और दोस्तों के साथ क्रियात्मक रहते हैं।

बुद्धि और भाग्य के मालिक ग्रह देव गुरु बृहस्पति के द्वारा बनाया गया हंस योग जातक के व्यापार और नौकरी में विशेष तौर पर अद्भुत तरक्की प्रदान करता है।
  • हंस योग से जातक अपने सकारात्मक सोच के वजह से विकट स्थिति में से निकलने में मदद करती है।
  • हंस योग जिस भी जातक की जनम कुंडलीमें होता है उसको जीवन में खुद के रिश्ते और समाज के लोगों से स्नेह और प्यार भरपूर मात्रा में मिलता है।
  • हंस योग किसी भी जातक की जनम कुंडलीमें बनने वाला सबसे शक्तिशाली योग में से एक है यह योग जातक के अंदर अध्यात्मिकता और सकारात्मकता का विस्तार करता है और देव गुरु बृहस्पति से बनने वाला हंस योग जातक को भाग्य और बुद्धि का जातक को आशीर्वाद देते हैं जिससे अपने जीवन काल में जातक सकारात्मकता भाग्य और बुद्धि का इस्तेमाल करके अपने जीवन काल में सम्मान और धन दोनों काम आता है।
  • हंस योग जातक को समाज में एक अच्छे पद को देने में सहायक बनता है. व्यक्ति लोगों के मध्य लोक प्रिय बनता है. व्यक्ति में सही - गलत का निर्णय करने की योग्यता होती है. वह व्यक्ति उत्तम कार्य करने वाला व उच्च कुल में जन्म लेने वाला होता है.
  • यह योग व्यक्ति में निर्णय योग्यता में बढोतरी करता है. बृहस्पति की स्वराशि धनु और मीन राशि हैं और कर्क राशि में बृहस्पति उच्च का होता है. अपनी राशि में होने के कारण बृहस्पति का प्रभाव अधिक हो जाता है. इसका शुभ प्रभाव जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है. आध्यात्मिक विकास भी होता है.
  • गुरु ग्रह संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थान, धन, दान, पुण्य का कारक होता है. दांपत्य जीवन में सुख का कारक भी यही बनता है. परिवार में भाई बंधुओं और संतान की वृद्धि आदि का कारक होता है.
 ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति अगर जन्म कुण्डली में अच्छी शुभ अवस्था में बैठा हुआ है तो इसके प्रभाव से जातक के मुश्किल रास्ते भी खुल जाते हैं और बिना रुकावटों के काम बनते जाते हैं. जातक के अंदर सात्विक गुणों का संचार होता है और वह गलत मार्ग से दूर रहता है. https://www.pinterest.com/pin/672091944418273427/
  1. हंस योग कब देता है शुभ फल
  • जन्म कुण्डली में कोई योग कितना शुभ होगा और किस तरह से फल देने में सक्षम होगा, ये जन्म कुण्डली की मजबूती पर भी निर्भर करता है. जन्म कुण्डली में अगर योग शुभता से युक्त हो और ग्रह भी मजबूत हो और किसी भी प्रकार के पाप अथवा खराब प्रभाव से मुक्त हो तो योग जातक को अपना शुभ फल प्रभावशाली रुप से देने वाला होता है.
  • दूसरी ओर अगर ग्रह किसी पाप प्रभाव में हो कमजोर हो तो ऎसी स्थिति में योग अपना शुभ फल देने में सक्षम होता है. इसलिए हंस योग में जातक को इसी प्रभाव के कारण अच्छे फल मिलते हैं. बृहस्पति की कमजोर स्थिति के कारण हंस योग अपने शुभ प्रभाव देने में कमी कर देता है.
  • अगर जातक की कुण्डली में हंस योग बना हुआ है. अगर कुण्डली में बृहस्पति की दशा व्यक्ति को मिल रही है तो उस दशा समय पर जातक को अपने जीवन में बहुत से अच्छे मौके मिल सकते हैं. अगर जातक को ये दशा अपने युवा समय में मिले तो वह उसके कैरियर के लिए बहुत अच्छी होती है. इसी तरह अगर बचपन के समय मिले तो जातक अपनी शिक्षा में बेतर प्रदर्शन कर सकने में कामयाब हो सकता है.
  • कुण्डली में बनने वाला कोई भी योग अपनी शुभता को तब बेहतर रुप से पा सकता है, जब कुण्डली में कुछ अन्य शुभ योग भी बन रहे हों तो ऎसे में कुण्डली मजबूत बन जाती है और व्यक्ति को सकारात्मक फल भी मिलते हैं. इसी के साथ अगर जो योग कुण्डली में बन रहा हो उस योग के ग्रह की दशा मिल रही हो तो उस योग का फल भी जातक को अवश्य मिलता है.

  • Sundartam Rajyog Panch Mahapurush Hans Rajyog

हंस राजयोग वाले प्रसिद्ध व्यक्ति-

भगवान राम, सम्राट विक्रमादित्य, फिल्म स्टार माधुरी दीक्षित, श्री इंदर कुमार गुजराल (भारत के पूर्व पीएम), दिवंगत श्री वीपीएससिंह (भारत के पूर्व पीएम), सुश्री जयललिता , प्रियंका गांधी

conclusion निष्कर्ष

किसी भी अन्य शुभ योग के निर्माण के भांति ही हंस योग के निर्माण के लिए भी यह अति आवश्यक है की जनम कुंडलीमें गुरु शुभ हों क्योंकि जनम कुंडलीमें गुरु के अशुभ होने से गुरु के उपर बताए गए विशेष घरों तथा राशियों में स्थित होने पर भी हंस योग नहीं बनेगा अपितु इस स्थिति में गुरु जनम कुंडलीमें किसी गंभीर दोष का निर्माण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी जनम कुंडलीमें अशुभ गुरु के दसवें घर में कर्क, धनु अथवा मीन राशि में स्थित होने पर बनने वाले दोष के प्रभाव में आने वाला जातक कपटी अथवा बगुला भगत हो सकता है जो धर्म आदि के नाम पर लोगों को ठगने में विश्वास रखता हो, जो उपर से तो धार्मिक व्यक्ति अथवा संत होने का दिखावा करता हो किन्तु वास्तव में कोई ठग अथवा छलिया ही हो। इसी प्रकार जनम कुंडलीमें अशुभ गुरु के विभिन्न घरों तथा विभिन्न राशियों में स्थित होने से जनम कुंडलीमें भिन्न भिन्न प्रकार के दोष बन सकते हैं। इसलिए किसी जनम कुंडलीमें हंस योग का निर्माण करने के लिए जनम कुंडलीमें गुरु का शुभ होना अति आवश्यक है। जनम कुंडलीमें गुरु के शुभ होने का निर्णय लेने के पश्चात यह भी देखना चाहिए कि जनम कुंडलीमें गुरु को कौन से शुभ अथवा अशुभ ग्रह प्रभावित कर रहे हैं क्योंकि किसी जनम कुंडलीमें शुभ गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव गुरु द्वारा बनाए जाने वाले हंस योग के शुभ फलों को कम कर सकता है तथा किसी जनम कुंडलीमें शुभ गुरु पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रबल प्रभाव जनम कुंडलीमें बनने वाले हंस योग को प्रभावहीन भी बना सकता है। इसके विपरीत किसी जनम कुंडलीमें शुभ गुरु पर शुभ ग्रहों का प्रभाव जनम कुंडलीमें बनने वाले हंस योग के शुभ फलों को और भी बढ़ा सकता है जैसे कि किसी जनम कुंडलीमें शुभ गुरु के साथ शुभ चन्द्रमा के जनम कुंडलीके 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में कर्क राशि में स्थित होने से जनम कुंडलीमें हंस योग के साथ साथ शक्तिशाली गज केसरी योग का निर्माण भी हो जाएगा जिससे जातक को प्राप्त होने वाले शुभ फलों में बहुत वृद्धि हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त जनम कुंडलीमें बनने वाले अन्य शुभ अशुभ योगों अथवा दोषों का भी भली भांति अध्ययन करना चाहिए क्योंकि जनम कुंडलीमें बनने वाले पित्र दोष, मांगलिक दोष तथा काल सर्प दोष जैसे दोष हंस योग के प्रभाव को कम कर सकते हैं जबकि जनम कुंडलीमें बनने वाले अन्य शुभ योग इस योग के प्रभाव को और अधिक बढ़ा सकते हैं। इसलिए किसी जनम कुंडलीमें हंस योग के निर्माण तथा इसके शुभ फलों का निर्णय करने से पहले इस योग के निर्माण तथा फलादेश से संबंधित सभी नियमों का उचित रूप से अध्ययन कर लेना चाहिए।

frequently asked questions अक्सर पुछे जाने वाले प्रश्न

Q. हंस योग केसे बनता है?
बृहस्पति अगर केन्द्र भाव में, चतुर्थ भाव में, सातवें भाव में या फिर दसवें भाव में अपनी राशि में स्थित हो या फिर उच्च राशि का बैठा हुआ हो तो कुण्डली में हंस योग का निर्माण होता है।
Q.हंस योग का जातक क्या करता है?
हंस योग के कुछ जातक किसी धार्मिक अथवा आध्यात्मिक संस्था में उच्च पद पर आसीन होते हैं, जबकि कुछ अन्य जातक व्यवसाय, उत्तराधिकार, वसीयत, सराहकार अथवा किसी अन्य माध्यम से बहुत धन संपत्ति प्राप्त कर सकते हैं। वह ज्योतिष, पंडित या दार्शनिक भी हो सकता है। उच्चशिक्षित न भी हो तो भी वह ज्ञानी होता है।
Q.हंस योग का क्या प्रभाव होता है ?
इस योग में जातक सुंदर, आकर्षक और ज्ञानवान होता है। उनकी आंखें बहुत सुंदर हो सकती हैं और ज्ञानी, आकर्षक बाते करने वाले होते हैं।
Q.हंस योग का क्या प्रभाव होता है?
इस योग का प्रभाव इसके तहत जन्मे जातक के जीवन पर तुरंत देखा जा सकता है, लेकिन बृहस्पति की महादशा शुरू होने पर चीजें बेहतर दिखने लगती हैं। इस महत्वपूर्ण समय में जातक को हंस योग का फल प्राप्त होता है।

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