ज्योतिष में पिशाच योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी शनि और राहु की युति होती है तो पिशाच योग बनता है। इन दोनों ग्रहों की व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये किसी की भी जिंदगी बना या बिगाड़ सकते हैं। इसी वजह से लोग इन दोनों ग्रहों से डरते हैं। शनि और राहु की युति से पिशाच योग बनता है। इसके प्रभाव को इसके नाम से ही आसानी से जाना जा सकता है। बता दें कि पिशाच योग बहुत ही खतरनाक होता है। जातकों के जीवन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो कि इन जातकों के लिए सबसे घातक होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पिशाच योग व्यक्ति के जीवन को बर्बाद कर देता है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी यह योग बन रहा है तो पितरों को श्राद्ध विधि से करना चाहिए।
पिशाच योग केसे और कब बनता है
शनि व राहु इन दोनों ग्रहों को वैदिक ज्योतिष में पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। जब यह दो ग्रह आपस में संबंध बनाते हैं तो पिशाच नामक योग बनता हैअब प्रश्न यह उठता है कि किस प्रकार से शनि व राहु संबंध बनाएं तो यह योग बनता है। उससे पूर्व यह जानना आवश्यक है कि आखिर शनि व राहु से ही क्यों पिशाच योग बनता है। इस योग का क्या अर्थ है। इसके लिए शनि व राहु को समझना होगा। शनि व राहु रात्रि बली होते हैं। शनि का वर्ण श्याम है। शनि अंधेरे का ग्रह है। राहु एक माया अर्थात जादू है। जब भी शनि और राहु के बीच संबंध बनता है तो नकारात्मक शक्ति का सृजन होता है। जिसे ज्योतिष में पिशाच योग की संज्ञा दी गई है।
शनि व राहु एक साथ युति कर किसी भी भाव में स्थित हों। एक दूसरे को परस्पर देखते हों। शनि की राहु या राहु की शनि पर दृष्टि हो। गोचर वश जब शनि जन्म के राहु या राहु जन्म के शनि पर से गोचर करता हो। इन चार प्रकार के शनि व राहु के मध्य संबंध बनने पर पिशाच योग बनता है
इन चार प्रकार के शनि व राहु के मध्य संबंध बनने पर पिशाच योग बनता है…..
राहु शनि की युति
यदि लग्न में शनि व राहु की युति हो तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर तांत्रिक क्रियाओं का अधिक प्रभाव रहता है। व्यक्ति हमेशा चिंतित रहता है। नकारात्मक विचार आते हैं। कोई न कोई रोग निरंतर बना रहता है। द्वितीय भाव में शनि व राहु की युति हो तो व्यक्ति के घर वाले उसके शत्रु रहते हैं। हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। तृतीय भाव में शनि व राहु की युति होने पर व्यक्ति भ्रमित रहता है। संतान सुख नहीं प्राप्त होता है।शनि राहु के एक साथ होने पर
चतुर्थ भाव में शनि व राहु की युति होने पर
माता का पूर्ण सुख नहीं मिल पाता है। आर्थिक नुकसान होता है। पंचम भाव में युति हो तो ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा कठिन स्थिति में पूर्ण होती है। षष्ठ भाव में युति हो तो ऐसे व्यक्ति के शत्रु अधिक होते हैं। सप्तम भाव में युति हो तो व्यक्ति को मित्रों व साझेदारों से धोखा मिलता है। अष्टम भाव में युति हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह की स्थितियाँ बनी रहती हैं।
नवम भाव में युति
हो तो ऐसे व्यक्ति के भाग्य में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। दशम भाव में युति हो तो कारोबार में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। एकादश भाव में युति हो तो जुए, सट्टे द्वारा धन की प्राप्ति होती है। द्वादश भाव में युति हो तो व्यक्ति के अनैतिक संबंध बनने की अधिक संभावना रहती है।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले भाव में राहु और चंद्रमा हों, शनि पांचवें भाव में हों और नवम भाव में मंगल बैठे हों तो यह भी पिशाच योग कहा जाता है। ग्रहों की ऐसी स्थिति आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां पैदा कर सकती है। अगर कुंडली में राहु और केतु का संबंध दूसरे या चौथे भाव से हो जाए तब भी पिशाच योग माना जाता है।
पिशाच योग के कारण होने वाली कुछ सामान्य समस्याएं
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
आर्थिक परेशानियां
पारिवारिक कलह
दुर्घटनाएं
कानूनी परेशानियां
नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव
पिशाच योग के निवारण के उपाय
वैदिक ज्योतिष में, पिशाच योग के निवारण के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय हैं:
नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें।
शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की कील धारण करें।
शनि ग्रह के मंत्रों का जाप करें।
पितरों का श्राद्ध करें।
पिशाच योग के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए गाय का दान करें या कन्या का दान करें।
शनि और राहु के शुभ प्रभाव के लिए इनसे जुड़े उपाय करें। मंत्र जाप भी शुभ फल देता है।
कहा जाता है कि अगर आपकी कुंडली में पिशाच योग भी बन रहा है तो दोनों कान छिदवाकर उसमें सोना के आभूषण धारण करें।
छाया दान करना भी शुभ माना जाता है।
पिशाच योग से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को अंधे को भोजन कराना चाहिए।
कुत्तों को रोटी खिलाएं। साथ ही शराब, मांस आदि से भी दूरी बनाकर रखें।
साथ ही शनि के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
पिशाच योग के प्रभाव को कम करने के लिए तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गाय और जूता आदि का दान करना लाभकारी माना जाता है।
राहु को जीवन में खराब फल देने से रोकने के लिए दूर्वा, चंदन, नीम, अनार और पीपल के पौधे लगाने चाहिए।
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