Great Rajyoga of Astrology ज्योतिष शास्त्र का महान राजयोग
वैदिक ज्योतिष में किसी जातक की जन्मकुंडली में बनने वाले योग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें कुछ शुभ तो कुछ अशुभ योग होते हैं। शुभ योगों में से एक योग है शश योग। यह योग पंच महापुरुष योगों में से एक हैं। हंस योग, मालव्य योग, रूचक योग, भद्र योग और शश योग। ये पांच सबसे शुभ योग होते हैं जिन्हें पंच महापुरुष योग कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शश योग मुख्यत: कुंडली में शनि की विशेष स्थिति के कारण बनता है।
कुछ लोग शनि को हमेशा कष्टकारी व पीड़ा देने वाला ग्रह मानते हैं जबकि शनि देव तो जातक को अपने कर्मों का फल ही देते हैं कर्मों के हिसाब से सुख या दुख देते हैं अगर मनुष्य अपना कर्म ही ठीक से कर ले तो शनि देव हमेशा सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करते हैं
शनि को हमेशा से संकट के ग्रह के रूप में देखा जाता है हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कई ऐसे योग है जो शनि की कृपा से ही बनते हैं जो जातक को सुखी संपन्न बनाने से नहीं रोक सकते इसी प्रकार का एक योग शश योग होता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंच महापुरुष योग में शश योग शनि की कृपा से बनने वाला राजयोग है
फलदीपिकाकार कहते हैं कि :-
शस्त: सर्वजनै: सुभृत्यबलवान् ग्रामाधिपो वा नृपो।
दुर्वृत्त: शशयोगजोडन्यवनिता वित्तान्वित: सौख्यवानH
अर्थात् - जो व्यक्ति शशयोग में उत्पन्न होते हैं, वे प्रभावशाली होते हैं, ग्राम प्रमुख या नृप अथवा उच्चााधिकारी होते हैं। ऎसे व्यक्ति स्वयं बलवान, प्रतिष्ठित, नेतृत्व सम्पन्न एवं प्रशंसनीय होते हैं और ये धनवान एवं सुखी होते हैं।
शश योग का निर्माण कब होता है
वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांच महापुरुष राजयोग होते हैं। यह योग हैं-रूचक योग, भद्र योग, हंस योग, मालव्य योग एवं शश योग। शश योग का किसी भी लग्न कुंडली में होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस योग का निर्माण शनि ग्रह द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है और जातक की कुंडली में यह योग अत्यंत शुभ फल देता है। यदि शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र स्थान पर हो यानि शनि यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग का निर्माण होता है। यदि लग्न कुंडली में शनि एक योगकारक अथवा सम ग्रह बन कर केन्द्र भाव में स्वगृही या उच्च के हो जाएं, उस स्थिति में इस राजयोग का निर्माण होता है।
शश योग में जन्मा जातक
शश योग में जन्मा जातक अनेक यात्राएं करता है शश योग वाला व्यक्ति क्रोधी हठी बहुत बड़ा वीर प्राकृतिक स्थान पर घूमने वाला होता है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो घुमक्कड़ प्रव्र्ति का होता है उसे ज्यादातर नदियों के निकट रहना पसंद होता है ऐसे व्यक्ति अतिथि प्रिय भी होते हैं इनका कद मध्य होता है तथा यह अपने मेहनत के कार्यों से प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं.जन्म कुंडली में शश राजयोग बनता है, तो व्यक्ति एक महान ऊंचाई प्राप्त करेगा लेकिन उन्नति बहुत धीमी होगी और जीवन संकट के बिना नहीं होगा। एक मूल विचार रखने वाले अपने जन्म कुंडली में मजबूत शनि के साथ शाशा योग रखने वाले, एक गहन विचारक होने के साथ-साथ उन्हें वास्तविकता में लाने के लिए विचारों को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे और एक नए उद्यम की शुरुआत करेंगे। मूल बहादुर होगा, निर्माण को आमंत्रित करने के साथ अच्छा लगेगा और कई नौकर, कारखाने होंगे और एक सफल और समृद्ध जीवन जीएंगे। यदि यह संयोजन पुरुष ग्रहों द्वारा पीड़ित है, तो व्यक्ति दुष्ट चरित्र का होगा (चोर भी हो सकता है)। वह चोरी करने या दूसरों के धन का आनंद लेने में नहीं लड़खड़ाएगा। ऐसे लोग अच्छे उत्पादन प्रबंधक, हार्डवेयर इंजीनियर, तकनीशियन, वैज्ञानिक शोधकर्ता, विदेशी भाषा अनुवादक, कंप्यूटर प्रोग्रामर, निजी जासूस, अंग्रेजी भाषा के शिक्षक, आटा चक्की के मालिक, प्रयोगशाला तकनीशियन, इस्पात कारखाने के मालिक आदि बन सकते हैं। https://www.pinterest.com/pin/672091944418293241/
शश योग कब बनता है
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी कुंडली में शनि अपनी ही राशि में मकर और कुंभ राशि में हो या तुला राशि में हो तो तुला राशि का राशि चक्र या मकर राशि (प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव) में स्थित है। कुंडली में शश नामक राजयोग बनता है।कुंडली में जब शनि स्वरासी मकर या कुंभ में हो अथवा शनि अपनी उच्च राशि तुला में होकर कुंडली के केंद्र भावों में स्थित हो तब शश योग बनता है एक अन्य मत के अनुसार इस योग को चंद्रमा से केंद्र में भी देखा जाता है चंद्र कुंडली बनाने पर अगर शनि केंद्र स्थान पर स्थित हो तो इस योग का निर्माण होता है।जिन लग्नों के लिए यह योग शुभ फल देता है। वह लग्न हैं -
मेष लग्न
वृष लग्न
तुला लग्न
वृश्चिक लग्न
मकर लग्न
कुंभ लग्न
इस योग में पैदा हुआ जातक न्यायप्रिय व्यक्तित्व का होता है। ऐसा व्यक्ति उच्च पद को प्राप्त करता है एवं उसके अंदर कुशल नेतृत्व की क्षमता होती है। जन संप्रदाय के बीच उस व्यक्ति की एक अलग पहचान बनती है। ऐसे जातक नेता, वक्ता, कलाकार, न्यायाधीश, पदाधिकारी आदि तक बन जाते हैं।
शश योग कब फलित नहीं होता है
लेकिन कभी-कभी वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली में शनि की डिग्री अच्छी नहीं है (कि यह कमजोर है) या अगर शनि का अस्त होता है या वक्री है । ऐसे मामलों में राजयोग कम लेकिन अच्छे परिणाम देगा। किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह के अनुसार कुछ उपायों का पालन करके इसे बेहतर बनाया जा सकता है जिसे वह आपकी कुंडली का विश्लेषण करके जातक को बता सकता है।शनि पर किसी नीच ग्रह की दृष्टि होने पर इस योग का शुभ फल नहीं मिलता है. है तो इस योग का शुभ फल मिलने की बजाय अशुभ फल मिलने लगता है. अगर शनि की स्थिति लग्न में अशुभ हो तो जातक मानसिक और शारीरिक रुप से रोगी हो सकता है. चतुर्थ स्थान पर अगर शनि अशुभ प्रभाव में हो तो घरेलू और जीवन का आत्मिक सुख मिलने में कमी बनी रहती है. अगर सातवें भाव में शनि अशुभ प्रभाव में होगा तो विवाह सुख को खराब करेगा. व्यक्ति किसी के साथ साझेदारी सही तरीके से नही कर पाएगा. दशम स्थान में खराब प्रभाव हो तो काम काज में सफल होने के लिए संघर्ष अधिक होता है और गलत चीजों में कैरियर बना सकता है.शनि शुभ होना आवश्यक
शश योग का निर्माण कुंडली के केंद्र स्थानों में शनि की स्थिति के कारण होता है। लेकिन इसमें यह ध्यान रखना आवश्यक है कि शनि शुभ स्थिति में होना चाहिए। यदि शनि पर अन्य नीच ग्रहों की दृष्टि है तो इस योग का शुभ फल मिलने की बजाय अशुभ फल मिलने लगता है। शनि के प्रथम भाव में अशुभ होने से जातक गंभीर रोगों से पीड़ित हो सकता है। चतुर्थ स्थान का अशुभ शनि सुख को प्रभावित करता है। सप्तम भाव में यदि अशुभ शनि बैठा है तो जातक का दांपत्य और पारिवारिक जीवन तहस नहस कर सकता है और दशम स्थान का अशुभ शनि जातक गलत कार्यों, अनैतिक संबंधों में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर बैठता है।शश योग के लाभ
- जिस जातक की जन्मकुंडली में श्ाश योग होता है उसे उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु, परिश्रमी स्वभाव, किसी भी बात का पूर्ण और सटीक विश्लेषण करने की क्षमता, सहनशीलता, छिपे हुए रहस्यों को जान लेने की क्षमता आदि प्रदान करता है।
- जिस कुंडली में यह योग हो वह जातक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है। ऐसा जातक राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है।
- शश योग के प्रभाव से जातक सामाजिक जीवन में बड़ा प्रतिष्ठित पद हासिल करता है। राजा के समान उसका सम्मान किया जाता है।
- कार्यक्षेत्र की बात की जाए तो शश योग वाले जातक बड़े सरकारी अफसर, अभियंता, जज, वकील बनते हैं।
- इस योग वाले जातक भूमि, भवन संबंधी कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं। शराब के व्यापारी होते हैं। इनके एक से अधिक व्यापार होते हैं।
- शश योग व्यक्ति को उच्च कोटि का आध्यात्मिक व्यक्तित्व प्रदान करता है। ऐसा जातक बड़ा आध्यात्मिक गुरु, योगाचार्य, प्रवचनकार, कथाकार, प्रेरक वक्ता बनता है।
- ऐसे जातक को धन, संपत्ति, समृद्धि, प्रसिद्धि सहज ही प्राप्त हो जाती है।
शश योग का कुंडली पर प्रभाव
- जातक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है और नाम कमाता है।
- उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- अंतर्दृष्टि की क्षमता शनि देव प्रदान करते हैं।
- व्यक्ति सामाजिक जीवन में बड़ा प्रतिष्ठित पद हासिल करता है।
- ऐसे व्यक्ति बड़े सरकारी अफसर, अभियंता, जज, वकील बनते हैं।
- इस योग वाले लोग भूमि, भवन संबंधी कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं।
- किसी भी योग की शुभता इस बात पर निर्भर करती है की योग में कोई कमी न हो जैसे की उस पर कोई अशुभ प्रभाव न हो, कोई भी योग जितना शोभन होगा उसके फलों में वृद्धि हो जाती है,. इस योग की शुभता कुण्डली में शनि ग्रह के शुभ होने पर ही आवश्यक होती है।
- शश योग के प्रभाव से जातक को रोग इत्यादि में स्वास्थ्य लाभ जल्दी मिलता है.
- जातक की आयु लंबी होती है.
- जातक के स्वभाव में व्यवहारिकता दिखाई देती है.
- खामोश और गंभीर रह कर काम करने वाला होता है.
- चीजों को लेकर गंभीरता से उन पर अध्य्यन करके उनके रहस्यों को जानने में सफल होता है.
- राजनीति के क्षेत्र में फलता और ऊंचाइयां पाता है.
- शश योग में जन्मे जातक का कैरियर
- शश योग में जन्मा जातक कानूनी दावपेचों का जानकार होने के कारण एक अच्छा वकील बन सकता है.
- सरकारी क्षेत्र में कमाई और लाभ मिलता है.
- शश योग वाले जातक के लिए जमीन से जुड़े कामों में भी सफलता मिल सकती है.
- शश योग वाले जातक बड़े सरकारी अफसर, वकील इत्यादि बन सकते हैं.
- शश योग में जन्मा जातक आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े कामों में भी प्रयासशील रह सकता है.
- किसी गुरु की भूमिका में या फिर सलाहकार एवं कथाकार भी बन सकता है.
- व्यक्ति आर्थिक क्षेत्र में बेहतर धन संपदा भी पाता है.
प्रसिद्ध व्यक्तित्व
- शनिदेव निर्मित्त शश योग में जन्मे जे.आर.डी. टाटा भारत के महान उद्योगपतियों में से एक हैं, इनके चतुर्थ भाव में मकर राशि में, स्थित होकर शनिदेव ने शश योग का निर्माण कर उन्हें अपार धन संपदा, लोकप्रियता, जनसहयोग, राजकृपा दी।
- हमारे देश के प्रधानमंत्री रह चुके अटल बिहारी वाजपेयी की कुंडली में पंचमहापुरुष योग में से एक ‘शश’ नामक योग ही था।
- ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की जन्मकुण्डली में शनि तुला लगनस्थ होकर उच्चा हैं। तुला लग्न का व्यक्तित्व बहुत गंभीर और संतुलित होता है। शुक्रदेव की राशि में, शनिदेव उच्चा के होकर जब शश योग बनाते हैं तो मानो शुक्र जनित काम का, शनिजनित न्याय में परिवर्तन हो जाता है और ऎसा व्यक्ति देश को नया एवं जोशीला नेतृत्व देने में सफल रहता है, वही किया है मार्गरेट थेचर ने।
- संत शिरोमणि तुलसीदास की जन्मपत्रिका में शश योग का निर्माण, तुला राशि में शनिदेव की अवस्थिति से हो रहा है। यहाँ ज्ञान की अमृत वर्षा करने वाले बृहस्पति लग्न में शनि से युति कर, शश योग में वैशिष्टय उत्पन्न कर रहे हैं। सिने जगत की महान हस्तियों की जन्मपत्रिकाओं को यदि हम देखें तो हम यह पाएंगे कि शनिदेव, शुक्र के साथ मिलकर भी व्यक्ति को बुलन्दियो पर पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इनमें प्रमुख हैं, धर्मेद्र, मीनाकुमारी, के.एल. सहगल, मालासिन्हा, शाहरूख खान आदि जो शनिदेव निर्मित्त शशयोग के कारण अपनी अभिनय कला में तप और साधना के बल पर सफलता की बुलंदियों पर पहुँच पाए।
- अभिनय कला के ही क्षेत्र में हम देखते हैं कि सिने जगत की एक महान् अदाकारा मीनाकुमारी की जन्म पत्रिका के चतुर्थ भाव में शनि स्थित होकर शशयोग का सृजन कर रहे हैं। मीनाकुमारी संवेदनशील अभिनेत्री थीं तथा उन्होंने अपने भाव पूर्ण अभिनय कला के प्रदर्शन से न जाने कितने ही दिलों पर राज किया।
- हमारे देश की श्रेष्ठतम एवं सुप्रसिद्घ धाविका पी.टी. उषा की जन्मपत्रिका में शनिदेव ने स्वराशि कुंभ में लग्न में स्थित होकर शशयोग का सृजन किया है। पी.टी. उषा के खेलों में दिए गए महान् योगदान को देश एक अंतराल तक स्मरण रखेगा और उनकी इस लग्न एवं साधना के कारण ही भारत सरकार ने उन्हें खेलों के क्षेत्र में दिए जाने वाले प्रतिष्ठित एवं सर्वोच्चा सम्मान अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
- महान वैज्ञानिक अलेक्जेडंर ग्राहम बैल जिन्होंने संचार की दुनिया में एक महानतम आविष्कार किया था - वह था टेलीफोन। आज का युग केवल दूरसंचार के साधनों यथा मोबाइल, टेलीफोन, फैक्स, इंटरनेट आदि पर अवलंबित सा हो गया है।
- ग्राहम बैल की कुंडली में लग्न में कुंभ राशि में सूर्य के साथ स्थित होकर शशयोग के निर्माण को सर्वव्यापक कर दिया और वे ऎसा आविष्कार करने में सफल रहे, जिससे राजा से लेकर रंक तक देखें।
- संगीतकार के.एल. सहगल। वे न केवल मधुर और सरस स्वर के धनी थे, बल्कि अभिनय कला में भी उतने ही प्रवीण थे। लग्न में स्वराशि कुंभ में, केतु से युत शनिदेव ने उनकी जन्म पत्रिका में उत्तम श्रेणी के शश योग की सर्जना कर, उन्हें इतनी इ”ात बख्शी कि वे महान् सितारा बन गए।
निष्कर्ष
यही तो विशेषता है शनिदेव की कि वे किसी भी क्षेत्र में जातक को डूब जाने की प्रेरणा देते हैं और व्यक्ति महान हो जाता है। खगोल में शनिदेव का परिक्रमा पथ अन्य ग्रहाें के परिक्रमा पथ से बाहर एवं दीर्घ है और ज्योतिष गं्रथों में कहा भी गया है कि किसी क्षेत्र की पराकाष्ठा का नाम शनिदेव है। शनिदेव व्यक्ति को विषय विशेष का इतना गहन अनुरागी बना देते हैं कि वह उस विषय की पराकाष्ठा तक पहुँचने के लिए साधनारत रहता है और सफलता प्राप्त करता है। शशयोग की मीमांसा जितना की जाए, समुद्र में बूंद के समान ही रहेगी।अर्थात् शनिदेव अपार सुख-संपदा, वैभव, पद-प्रतिष्ठा, नेतृत्व जैसे सभी भौतिक पदार्थ देते हैं परन्तु शनै: शनै:। शश योग में जन्मे व्यक्ति अपने जीवन में धीरे-धीरे चर्मोत्कर्ष तक पहुँचते हैं।
अक्सर पुछे जाने वाले प्रश्न
प्र. शश महापुरुष योग कब बनता है ?उ. जब शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र स्थान पर हो यानि शनि यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग का निर्माण होता है।
प्र. शश योग मे जन्म लेने वाले जातक केसे होते है ?
उ. इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति छोटे मुंह वाला, जिसके छोटे दांतवाला होते हैं. उसे भ्रमण करने का शौक होता है. वह भ्रमण के उद्देश्य से अनेक यात्राएं करता है. शश योग वाला व्यक्ति क्रोधी, हठी, बडा वीर, वन-पर्वत,किलों में घूमने वाला होता है. उसे नदियों के निकट रहना रुचिकर लगता है
प्र. शश योग का फल कब मिलता है?
उ. जब कुंडली में शनि लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में या अपनी खुद की राशि यानी मकर या कुंभ या उच्च राशि तुला में मौजूद होता है
प्र. शश योग के क्या लाभ है ?
उ. स्वास्थ्य लाभ जल्दी मिलता है.
आयु लंबी होती है.
स्वभाव में व्यवहारिकता दिखाई देती है.
खामोश और गंभीर
रहस्यों को जानने में सफल होता है.
राजनीति के क्षेत्र में सफलता
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