Is this Rajyoga present in your horoscope also?
क्या आपकी कुंडली मे भी है ये राजयोग -
जब दो ग्रह जनम कुंडली मे अशुभ स्थिति मे युति करते हो तब कुंडली मे दोष का निर्माण होता है, वही दो ग्रह विशेष स्थिति मे शुभ युति कर रहे है तो कुंडली मे शुभ योग का निर्माण होता है। योग बनाने वाले ग्रहों की फल देने की क्षमता दोगुनी हो जाती है. योग शुभ हो तो व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते है. इसके विपरीत योग अशुभ बन रहा हो तो व्यक्ति को अशुभ फल प्राप्त होते है।
Special Astrological Rajyoga Budhaditya Yoga
विशिष्ट ज्योतिषीय राजयोग बुधादित्य योग
जब जनमकुण्डली में सूर्य और बुध किसी भी रशि में एक साथ हो तो बुद्धादित्य योग बनता है. बुद्धादित्य योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है, वह व्यक्ति बुद्धिमान, विद्वान, और तेजस्वी होता है. उसमें साहस भाव भी भरपूर पाया जाता है. तथा अपने बौद्धिक कार्यो से वह उन्नतिशील बनता है. इसके अतिरिक्त ऎसा व्यक्ति अपने सिद्धान्तों पर स्थिर रहकर जीवन व्यतीत करता है. बुधादित्य योग एक अत्यंत ही शुभ राजयोग योग है ।जन्मकुंडली में सूर्य और बुध दोनों किसी भाव में मिलकर एक साथ बेठे हो तब बुधादित्य योग बनता है। बुधादित्य योग आपको शाही सुख का आशीर्वाद देता है - व्यापार के माध्यम से लाखों कमाने की सुविधा देता है - यह एक सुखी और समृद्ध जीवन प्रदान करता है। यह योग जातक को बुद्धि, सफल पेशा, अच्छी प्रतिष्ठा, तेज दिमाग, अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता, उच्च ऊर्जा स्तर प्रदान करता है, मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, अच्छी शिक्षा प्रदान करता है, जातक को सरकारी नौकरी मिलने की भी अच्छी संभावना होती है, जातक को सर्वश्रेष्ठ बनने की सुविधा प्रदान करता है। जातक के जन्म के साथ ही जातक के पिता को भी ये योग शुभ फल प्रदान करने लगता है। अर्थात पिता के व्यापार या नौकरी द्वारा आर्थिक वृद्धि होने लगती है और एक दिन वही निर्धन परिवार अपने बालक की कुण्डली में विद्यमान बुध-आादित्य योग के प्रभाव से धनवानों में शामिल हो जाता है।How is Buddhaditya Yoga formed?
कैसे बनता है बुधादित्य योग
इस योग में सूर्य और बुध कभी भी एक-दूसरे से 28 डिग्री आगे-पीछे से अधिक दुरी पर नही रहते।सूर्य की निकटता से ग्रह अस्त हो जाते है लेकिन बुध को इस विषय में अपवाद माना जाता है। योग में सूर्य और बुध की राशि में स्थिति के बीच कम से कम 6 डिग्री और अधिक से अधिक 10 डिग्री का अंतर होना चाहिए।यदि सूर्य और बुध एक भाव में न हों तो योग नहीं बनता है। यदि उनमें से एक भी अपनी नीच राशि में या अशुभ स्थान पर है, तो प्रभाव नहीं हो सकता है। यदि पारा सूर्य के बहुत करीब है, तो योग भी रद्द हो जाता है। बुधादित्य योग तब सबसे अच्छा काम करता है जब बुध सूर्य के पीछे 14 डिग्री पर होता है। इनके बीच तीन डिग्री से नीचे और 12 डिग्री से अधिक होना भी योग की उपेक्षा करता है।इस योग में सूर्य बुध दोनों में से कोई एक केंद्र का और दूसरा त्रिकोण का स्वामी हो तब यह योग विशेष शुभफल दयाक होता है।इस योग वाला जातक अति बुद्धिमान, कार्य करने में कुशल, प्रतिष्ठित होता है जीवन में इन जातको को सुख- सुविधाओ की प्राप्ति होती है।यदि यह योग शुद्ध व् बलिष्ठ स्थिति में न बन रहा हो, सूर्य बुध में से कोई भी अपनी नीच राशि,पाप ग्रहो से पीड़ित हो तब यह योग निष्प्रभावी हो जाता है।Budhaditya Yoga and field of work
बुधादित्य योग और कार्यक्षेत्र
शुभ बुध आदित्य योग के जातक लेखक, गणित , ज्ञान विज्ञानं , चिकित्सा, बैंक कर्मचारी और ज्योतिषी ज्यादा देखे जाते है। यदि यह योग जन्म कुंडली में शुभ भाव या राज योग या उच्च राशि में बुध ग्रह स्थित होकर बन रहा है तो वैसा जाता लेखक के रूप में अपना नाम कमाता है उसका लेखन कार्य युगों-युगों तक सूर्य की तरह प्रकाशमान होता है।When does Budhaditya Yoga give auspicious results?
बुधादित्य योग कब देता है शुभ फल?
बुध और सूर्य का योग बुध आदित्य योग को बनाता है, बुध ग्रह और सूर्य जिनका एक अन्य नाम आदित्य है. इन दोनों का संयोग व्यक्ति को शुभता और सकारात्मकता देने वाला होता है. बुद्धादित्य योग बहुत सी कुण्डलियों में प्राप्त होता है. पर यह योग कुछ मामलों में ही अपने फल को अधिक मजबूती के साथ सामने लाता है।- सूर्य का बुध के साथ मेष राशि में होना.
- सूर्य बुध का कन्या राशि में होना.
- सूर्य बुध का मिथुन राशि में होना.
- सूर्य बुध का सिम्ह राशि में होना.
Valid conditions for Budhaditya Yoga to be auspicious:
बुधादित्य योग के शुभफल प्रदायक होने के लिए मान्य शर्तें:
- कुंडली में सूर्य व बुध दोनों का शुभ स्थिति में होना आवश्यक है, यदि दोनों में से एक भी अशुभ स्थिति में कुंडली में उपस्थित हो तो यह योग पूर्णफलप्रदायी नहीं होता
- बुधादित्य योग का निर्माण कुंडली के केंद्र व त्रिकोण भावों में होना चाहिए जहां ये शुभ फलप्रदायी माने जाते हैं।
- चाहे बुधादित्य योग शुभ घरों में बन जाएँ पर यदि सूर्य व बुध दोनों या उनमें से कोई एक बलहीन हों तो भी वे एक शुभ योग का निर्माण करने में असमर्थहोते हैं।
- यदि बुध, सूर्य से अधिक समीपता के कारण अस्त हो जाये तो भी यह योग पूर्ण फल प्रदान नहीं करता है।
- किन परिस्थितियों में सूर्य बुध युति नकारात्मक परिणाम दे सकती है?
- यदि बुधादित्य योग कुंडली के किसी त्रिक भाव यानि ६,८ या १२ भाव में बन जाए, तब लाभ के स्थान पर हानी हो सकती है
- सूर्य व बुध के संयोग से योग तुला राशि में बन जाये जहां सूर्य नीचस्थ माना गया है।
- मीन राशि में भी यह योग इतना शुभ नहीं होता क्योंकि वहां बुध ग्रह, नीच के माने गए है।
- यदि बुध अस्त हो तब भी यह योग बनाये तो शुभ के स्थान पर अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
- अतः किसी भी योग को शुभ कह देने भर से वह योग शुभ नहीं हो जाता है और उसके साथ कुंडली के अनेक तथ्यों पर विचार विमर्श आवश्यक है एक अनुभवी ज्योतिषी ही सभी तथ्यों की जांच परख के पश्चात जातक को सही निर्णय दे सकता है।
Result of Budhaditya Yoga according to house
भाव के अनुसार बुधादित्य योग का फल
प्रथम भाव -जन्म कुंडली के प्रथम भाव अर्थात लग्न में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) बन रहा है तो जातक को मान-सम्मान, यश, प्रसिद्धि, कार्यक्षेत्र में सफलता, नौकरी में प्रमोशन इत्यादि शुभ फल प्रदान कर सकता है। व्यक्ति चतुर, बुद्धिमान के साथ-साथ अहंकारी भी होता है।दूसरा भाव-जन्म कुंडली में यदि दूसरे भाव में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) हो तो जातक को धन-धान्य से युक्त, सरकारी नौकरी वाला, ऐश्वर्य युक्त जीवन के साथ साथ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने में समर्थ होता है। जातक तार्किक अभिव्यक्ति वाला, व्यवहार कुशल, घूस लेने वाला, दूसरों के धन से व्यवसाय करने की इच्छा रखने वाला, दूसरों की पुस्तकें लेकर अध्ययन करने वाला हो सकता है।
तृतीय भाव-यदि आपकी कुंडली के तीसरे भाव में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) बन रहा है तो वैसा जातक रचनात्मक कार्य में दक्ष होता है और इस कार्य में सफलता भी प्राप्त करता हैं आप राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कुंडली में यह योग देख सकते है। ऐसा व्यक्ति मंत्री पद भी प्राप्त कर सकता है अर्थात राजनीति से भी सम्बन्ध रखता है। ऐसा जातक स्वयं परिश्रमी, भाई-बहनों में स्नेह का अभाव, भाग्योदय का अवसर खो देने वाला होता है। जातक को सेना अथवा पुलिस में नौकरी कर सकता है।
चतुर्थ भाव-कुंडली के चौथे भाव में स्थित बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) व्यक्ति को वाहन सुख, विदेश भ्रमण, घर से दूर रहना, अपना घर, सरकारी नौकरी सुखी दाम्पत्य जीवन इत्यादि प्रदान करता है। यह योग इस स्थान पर प्रायः शुभ फल प्रदान करता है। यह योग व्यक्ति को संस्था का प्रधान, प्रोफेसर, इंजीनियर, सफल राजनेता, कुलपति, न्यायाधीश या उच्च कोटि का अपराधी भी बना देता है। मित्रों का सहयोग एवं प्रेम करने वाला होता है।
कन्या या तुला लग्न की कुंडली में यदि यह योग बन रहा है तो जातक को एक न एक दिन अपना घर छोड़ना पड़ता है वह अपना निवास विदेश में भी बना सकता है।
पंचम भाव-कुंडली के पांचवे भाव में यह योग जातक को बहुत नित्य नए कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करता है, आध्यातमिक शक्ति, नृत्य में अभिरुचि, कलात्मक क्षमता, नेतृत्व क्षमता, धार्मिक यात्रा देने में सक्षम होता है। ऐसा जातक अपने जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है बशर्ते की अहंकारी और अभिमानी न हो। पंचम भाव में यह योग अल्प संतान परन्तु प्रतिभावान संतान देता है। पेट तथा लिवर से सम्बन्धित रोग देता है।
सप्तम भाव-कुंडली के सातवें घर का बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक के दाम्पत्य जीवन में परेशानी उत्पन्न करता है। वैवाहिक जीवन को नीरस बना देता है। जीवन साथी को नुकसान पहुंचाता है कई बार तलाक तक की नौबत आ जाती है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत कामी जीवनसाथी की उपेक्षा कर दूसरों की ओर विशेष आकृष्ट होने वाले होते हैं। ऐसा जातक समाजसेवा एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध, चिकित्सक, अभिनेता, निजी सहायक इत्यादि होते हैं। साझेदारी में व्यवसाय के लिए अच्छा होता है।
अष्टम भाव-कुंडली के आठवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को किसी वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त करवा सकता है तथा यह योग जातक को आध्यात्म तथा परा विज्ञान के क्षेत्रों में भी सफलता प्रदान कर सकता है। जातक को दुर्घटना का भय बना रहता है ख़ास कर हाथ, गाल, नाखून एवं दांत, पैर में। ऐसा व्यक्ति विदेशी मुद्रा से व्यापार, आमाशय में जलन,किडनी में स्टोन तथा आंतों में विकार भी इस योग वाले जातक में देखने में मिलता है। यदि बुध बली हो तो ऐसा जातक व्यापार में सफलता प्राप्त करता है।
नवम भाव-यदि जन्म कुंडली के नवम भाव में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को शुभ फल प्रदान करता है परन्तु एक बात का अवश्य ध्यान रखना होगा यदि आप अपने पिता के ऊपर निर्भर हो गए तो समझ ले की आप अपने भाग्य का निर्माण पूरी तरह से करने में सक्षम नही होंगे। जातक अपने बल पर जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्रदान करेगा। जातक को भाग्य का पूर्ण साथ मिलता है, थोड़ी मेहनत से ही कार्य बन जाते है तथा इस योग के शुभ प्रभाव में होने से धर्म कर्म मे हिस्सा लेता है । ऐसा व्यक्ति आलसीपन के कारण अपना अवसर खो देता है।
दशम भाव-कुंडली के दसवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त करवाता है। जातक सरकारी पद पर आसीन कराता है। जातक मंत्री पद भी प्राप्त करता है। व्यापर या नौकरी दोनों की स्थिति में यह योग सामाजिक सम्मान दिलाता है।जातक बुद्धिमान, धन कमाने में चतुर, साहसी एवं संगीत प्रेमी होते हैं। जातक धीरे धीरे आसमान छू लेता है।
एकादश भाव-कुंडली के ग्यारहवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) जातक को बहुत लाभ प्रदान करता है। ऐसा जातक राजनीति में भी अपना भाग्य आजमाइस करता है। जातक विद्वान, ज्ञानवान, संगीत का प्रेमी, रूपवान एवं धनधान्य से संपन्न होता है। इस स्थान का बुधादित्य योग भी सरकार से लाभ या सरकारी नोकरी दिलाता है। जातक के आय के कई स्रोत्र होते हैं।
द्वादश भाव-यदि आपकी जन्म कुंडली के बारहवें भाव में बुधादित्य योग ( Budhaditya Yog ) बन रहा है तो जातक को भोगविलास मे रूचि कम होती है। जातक घर से बाहर इन्वेस्टमेंट भी करता है। पिता के सुख मे कमी होती है। समाज में मान-सम्मान मिलता है। जातक खर्चीला भी होता है। जातक इन्वेस्टमेंट करने में घबराता नहीं है।
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