Shubh Muhurt
एक शुभ मुहूर्त्त आपके किसी भी अटके हुए काम और रुके हुए काम को आगे बढ़ाने में बहुत ही सहायक होता है. कहीं नौकरी के लिए जाना है, कोई डील फाइनल करनी है, कहीं किसी नए काम की शुरुआत करनी है, या फिर ऎसा कोई भी छोटा या बड़ा ऎसा काम करना है जिसमें आप सफल होने की इच्छा रखे हुए हों. तो ऎसे में मुहूर्त शास्त्र का उपयोग अत्यंत लाभदायक माना गया है.
मुहूर्त शास्त्र के अंतर्गत हमें अनेक प्रकार के शुभ एवं अशुभ समय का चयन करने कि जानकारी प्राप्त होती है. मुहूर्त कि ये जानकारी ही हमारे आगे के मार्ग को प्रश्स्त करने में भी हमारे लिए अत्यंत ही उपयोगी भी सिद्ध होती है. इसी मुहूर्त के अंतर्गत आता है एक अत्यंत ही शुभ समय जो कहलाता है सर्वार्थ सिद्धि योग का समय.
Sarvarth Sidhhi Yog
सर्वार्थ सिद्धि योग
ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण योग है जो विभिन्न ग्रहों के संयोग पर आधारित होता है। इस योग में उपस्थित ग्रहों के संयोग का प्रभाव मान्यता अनुसार अधिक होता है और इसे शुभ माना जाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान विशेष ग्रहों की स्थिति और संयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह योग जब बनता है, तो मान्यता है कि इस समय शुभ कार्यों की सफलता के अवसर बढ़ जाते हैं और संपूर्ण उद्देश्य प्राप्त होते हैं। यह योग नए परियोजनाओं की शुरुआत, संबंधों का शुभारंभ करने, व्यापार या निवेश में शुभ समय का चयन करने आदि के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
वार और नक्षत्र का संयोग सर्वार्थ सिद्धि योग कहलाता है। यह योग विशेष वारों को पड़ने वाले विशेष नक्षत्रों के योग से बनता है। सोमवार के दिन यदि रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा और श्रवण नक्षत्र हो तो इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। वहीं, अगर यह योग गुरुवार और शुक्रवार के दिन बनता है तो इस दिन कोई भी तिथि हो, यह योग नष्ट नहीं होता है।
माना जाता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य पूरे होते हैं और यह शुभ फलदायी भी होते हैं। इसलिए इसे सर्वार्थ सिद्धि योग कहा जाता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसी तिथियां भी बताई गई हैं जिस दिन यह सर्वार्थ सिद्धि योग शुभ फल प्रदान नहीं करता।
सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण
● रविवार - हस्त , मूल ,उत्तर फाल्गुनी , उत्तराषाढा, उत्तराभाद्रपद , पुष्य , आश्लेषा
● सोमवार - श्रवण ,रोहिणी , मृगशिरा, पुष्य ,अनुराधा
● मंगलवार - अश्विनी, उत्तराभाद्रपद , कृतिका, अश्लेषा
● बुधवार - रोहिणी , अनुराधा, हस्त ,कृतिका, मृगशिरा
● गुरुवार - रेवती ,अनुराधा ,अश्विनी ,पुनर्वसु, पुष्य
● शुक्रवार - रेवती ,अनुराधा ,अश्विनी, पुनर्वसु, श्रवण
● शनिवार - श्रवण, रोहिणी, स्वाति
कब होता है अशुभ
कुछ विशेष तिथियों में सर्वार्थ सिद्धि योग बनने के बाद भी नष्ट हो जाता है। अगर द्वितिया या फिर एकादशी के दिन बन रहा हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। यह योग अगर मंगलवार और शनिवार के दिन बन रहा हो तो इस योग में लोहा खरीदना अशुभ माना जाता है।
इस योग की महत्वपूर्ण बात यह है कि यह योग दिन के विशेष समयों पर होता है और इसकी अवधि अलग-अलग हो सकती है। इसलिए, एक पंचांग या ज्योतिषाचार्य की सलाह लेना सर्वोत्तम होता है ताकि किसी दिन के लिए विशेष समयों में सर्वार्थ सिद्धि योग की जानकारी प्राप्त की जा सके। यह योग उपयुक्त मुहूर्त का चयन करने के लिए उपयोगी माना जाता है जिससे कि शुभ कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
Features of Sarvartha Siddhi Yoga
सर्वार्थ सिद्धि योग की विशेषताएं
1. शुभता: सर्वार्थ सिद्धि योग हिन्दू ज्योतिष में एक शुभ योग माना जाता है। इसके दौरान शुभ प्रभाव बढ़ता है और शुभ कार्यों की सफलता के अवसर बढ़ जाते हैं।
2. समय परिधि: सर्वार्थ सिद्धि योग का अवधि दिन के विशेष समयों में होती है। यह समय अलग-अलग दिनों पर भिन्न हो सकता है और इसकी जानकारी पंचांग या ज्योतिषी के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
3. संयोग ग्रह: सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान विशेष ग्रहों के संयोग का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस योग के लिए विभिन्न ग्रहों की स्थिति और संयोग की जांच की जाती है। यह ग्रहों के संयोग के प्रकाश में शुभता के कारण इसे अभिप्रेत माना जाता है।
4. सर्वार्थ सिद्धि: इस योग का नाम "सर्वार्थ सिद्धि" है, जिसका अर्थ होता है "सभी उद्देश्यों की प्राप्ति"। इसके अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों की सफलता के अवसर बढ़ते हैं और लोग इसे शुभ समय की खोज के लिए ढूंढ़ते हैं।
5. उपयोग: सर्वार्थ सिद्धि योग का उपयोग विभिन्न शुभ कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे नये प्रोजेक्ट की शुरुआत, व्यापार या निवेश में शुभ समय का चयन, नवजात शिशु के नामकरण, गृह प्रवेश, विवाह मुहूर्त, पूअगर आपको इसके बारे में और जानना है, तो कृपया आप इसके उपयोग, महत्व, और योग के दिनों के बारे में अधिक विवरण प्रदान करें।
Importance of Sarvartha Siddhi Yoga in astrology
सर्वार्थ सिद्धि योग का ज्योतिष में महत्व
सफलता की संभावना: सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान शुभता के प्रभाव में कार्यों की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। यह योग शुभ कार्यों के लिए एक अद्वितीय समय होता है जब शुभ प्रभाव में सफलता की संभावना बहुत अधिक होती है।
2. मुहूर्त चयन: सर्वार्थ सिद्धि योग का उपयोग विभिन्न मुहूर्त का चयन करने के लिए किया जाता है। जब यह योग बनता है, तो उस समय को शुभ माना जाता है और लोग इसकी मदद से अच्छे मुहूर्त का चयन करते हैं, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, शोपान, नामकरण, यात्रा, आदि के लिए।
3. उद्देश्य की प्राप्ति: सर्वार्थ सिद्धि योग के दौरान किए जाने वाले कार्यों में उद्देश्य की प्राप्ति के अवसर बढ़ जाते हैं। यह कार्यों को सफलता की ओर प्रेरित करता है और नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है।
4. कर्मक्षेत्र में प्रगति: सर्वार्थ सिद्धि योग का उपयोग करके यदि कोई व्यक्ति कर्मक्षेत्र में उन्नति चाहता है, तो यह योग उसके लिए उपयोगी हो सकता है। यह उनकी प्रगति और सफलता को संभावित करने में मदद करता है।
5. उपायों के लिए शुभ समय: सर्वार्थ सिद्धि योग का उपयोग शुभसमय के लिए भी किया जाता है। जब यह योग बनता है, तो शुभता के प्रभाव में उपायों का करना और धार्मिक अभिषेक, हवन, मंत्र जाप, और पूजा करने के लिए शुभ समय माना जाता है। यह योग अधिकतर लोगों के जीवन में शुभता और सफलता को लाने का एक समय माना जाता है।
conclusion
निष्कर्ष
सर्वार्थ सिद्धि योग एक अत्यंत ही शुभ समय या मुहूर्त होता है. कई बार जल्दबाजी और सभी बातों को ध्यान में नही रख पाने के कारण कुछ न कुछ अधुरा सा रह ही जाता है. समय की कमी के कारण कोई निश्चित मुहूर्त्त नहीं मिल पाने के समय के दौरान, सर्वार्थ सिद्धि योग का उपयोग अत्यंत लाभदायी बन जाता है. सर्वार्थ सिद्धि योग का उपयोग करके हम उस अधूरेपन को दूर करने के योग्य बन सकते हैं जिसे हम पूरा नहीं कर पा रहे हों.
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