Rajyoga that solves problems संकटों का निवारण करने वाला राजयोग
ज्योतिष मे रुचि रखने वाले लोगो को राजयोग के बारे मे बहुत उत्सुकता रहती है और लोग अपनी कुंडली में राजयोग को जानना चाहते हैं क्यूंकि इसके कारण जातक को महान सफलता प्राप्त होती है, जातक को धन मान-सम्मान प्राप्त होता है, पद प्राप्त होता है, पारिवारिक जीवन मे सुख प्राप्त होता है, ऐशो आराम के साधन प्राप्त होते हैं | राजयोग 5 प्रकार के होते हैं, लेकिन, एक राजयोग ऐसा भी है जो राजयोग न होकर भी राजयोग के समान व्यक्ति को फल देते हैं। इसे विपरीत राजयोग कहते हैं। प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रन्थ फलदीपिका , में विपरीत राजयोग के विषय में बताया गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में विपरीत राजयोग बनता है उन्हें सफलता तो मिलती है लेकिन, उनकी सफलता में किसी का हाथ या सहयोग जरूर होता है। आइए जानते हैं क्या है विपरीत राजयोग और इसके कितने प्रकार हैं।
Rajyoga in birth chart जनम कुंडली मे राजयोग
ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति की कुंडली में कोई ना कोई शुभ और अशुभ योग जरूर बनता है। उन योग की वजह से व्यक्ति के जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव भी देखने को मिलता है। कई व्यक्ति का जीवन समृध्हि से भरपूर हो जाता है तो कई लोगो का जीवन परेशानियों से घिर जाता है। क्योंकि कुछ लोग व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदल देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे योग के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद शक्तिशाली और काफी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।
बनता कैसे है 'विपरीत राजयोग' ज्योतिष के नियमों के अनुसार जब कुंडली में त्रिक भाव यानी छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी आपस में युति संबंध बनाते हों तो विपरीत राजयोग बनता है। त्रिक भाव के स्वामी के बीच युति संबंध बनने से दोनों एक दूसरे के विपरीत प्रभाव को समाप्त कर देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसे इसका शुभ प्रभाव मिलता है। विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह अगर त्रिक भाव में कमजोर होते हैं या नवमांश कुंडली में कमजोर हों तो अपनी शक्ति लग्नेश को दे देते हैं। इसी प्रकार अगर केंद्र या त्रिकोण में विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह मजबूत हों तो दृष्टि अथवा युति संबंध से लग्नेश को बलशाली बना देते हैं। अगर विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह अपनी शक्ति लग्नेश को नहीं दे पाते हैं तो व्यक्ति को किसी और की कामयाबी से लाभ मिलता है।विपरीत राजयोग को जानने के लिए जन्म पत्रिका के त्रिक भावो का अध्ययन किया जाता है अर्थात 6, 8 और 12 भावों का अध्ययन किया जाता है |
Suddenly get the result of opposite Rajyoga अचानक मिलता है विपरीत राजयोग का फल
विपरीत राजयोग त्रिक भावों यानी छठे, आठवें और 12वें भावों के स्वामियों की युति से बनता है। कुंडली का छठा भाव ऋण स्थान होता है। यदि किसी जातक पर लाखों रुपए का कर्ज है और कोई ऐसा रास्ता निकल आता है या किसी की मदद से वह कर्ज एक झटके में उतर जाए तो समझना चाहिए जातक को विपरीत राजयोग का फल मिला है। इसी तरह कुंडली का आठवां स्थान गरीबी का भाव माना जाता है।बारहवां भाव व्यय स्थान कहलाता है यदि किसी जातक की गरीबी अचानक दूर हो जाए तो उसे भी विपरीत राजयोग का परिणाम माना जाएगा। इसी तरह बारहवां भाव व्यय स्थान कहलाता है। किसी जातक के खर्चों पर अचानक लगाम लग जाए और बैंक में पैसा जमा होना शुरू हो जाए तो यह भी विपरीत राजयोग के प्रभाव से होता है।
विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रहों की दशा-महादशा आती है तब जातक के जीवन में तेजी से शुभ प्रभाव आना शुरू हो जाते हैं।विपरीत राजयोग ऐसा योग होता है जिसमें आप पहले कुछ गंवाते हैं या कष्ट उठाते हैं, फिर आपको उसका मुआवजा या क्षतिपूर्ति मिलती है ।
उदाहरण के लिए किसी के मरने पर मिलने वाला मुआवजा जैसे बीमा पालिसी से मिलता है या सरकार द्वारा मिलता है । किसी के मरने पर विरासत में सम्पत्ति मिलना भी इसी में आएगा ।
Some special facts about Viparita Rajyoga? विपरीत राजयोग के बारे में कुछ विशेष तथ्य ?
इस योग के होने पर ऐसा नहीं होगा की जातक शुरू से ही सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने लगता है अपितु संघर्ष के बाद आखिर में सफल जरुर होता है |लग्न के कमजोर होने पर विपरीत राजयोग का फल प्राप्त करने में मुश्किल होती है |
इस योग के कारण जातक के जीवन में अचानक से बड़े बड़े परिवर्तन देखने को मिलते हैं |
इस योग के होने से जातक को मुसीबत के समय किसी ना किसी का मार्गदर्शन मिलता है और जातक संकटों से बाहर आ जाता है, इसमें कोई शक नहीं |
अगर कोई कर्जे में हो और उनके कुंडली में विपरीत राजयोग हो तो निश्चित ही आप किसी के सहायता से बाहर आ पायेंगे |
अगर कोई किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो और कुंडली में विपरीत राज योग बनता है तो आप निश्चित ही उससे बाहर आ पायेंगे |ज्योतिषों की माने तो विपरीत राजयोग का निर्माण तब होता है जब व्यक्ति की कुंडली में छठे भाव का स्वामी अष्टम या द्वादश भाव में विराजमान होता है या फिर जब द्वादशेश षष्ठम या अष्टम भाव में होता है तो विपरीत राजयोग बनता है। कहा जाता है कि विपरीत राजयोग में त्रिक भाव और इनके स्वामियों की ही भूमिका अहम होती है। ये 3 प्रकार के होते है – हर्ष, सरल और विमल।
Types of opposite Rajyoga विपरीत राजयोग के प्रकार
हर्ष राजयोग
अगर जन्मपत्रिका में छठे भाव का स्वामी त्रिक भावो में से कहीं भी बैठ जाए तो हर्ष योग नाम का विपरीत राजयोग बनता है | इसके कारण जातक शत्रुओ पर विजय प्राप्त करता है, उसे धन की कमी नहीं रहती है, किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर भी वो उस पर विजय प्राप्त करता है | ऐसा जातक बड़े बड़े निवेश भी कर पाता है |
हर्ष राजयोग व्यक्ति के जीवन को बदल के रख देता है। ये योग बनने से पारिवारिक जीवन में सुखद पल मिलते हैं। इतना ही नहीं समाज में मान सम्मान भी तेजी से बढ़ता है। वहीं सेहत भी सुधार में रहती है। ये योग व्यक्ति के जीवन को बदल कर रख देता है। हालांकि अगर छठे भाव का स्वामी छठे भाव में ही विराजमान हो तो यह योग व्यक्ति के जीवन में सुख संकेत नहीं देता है। ऐसी स्थिति में जीवन परेशानियों से घिर जाता है।
अगर छठे भाव का स्वामी लग्न कुंडली में ६,८,१२ में बैठा हो तो उसे हर्ष विपरीत राजयोग कहा जाता है।
विमल राजयोग
अगर जन्म कुंडली में बारहवें भाव का स्वामी किसी भी त्रिक भाव में बैठ जाए तो विमल नाम का राज योग बनता है |
इस योग के कारण जातक अपने जन्म स्थली से दूर अपना नाम करता है, ऐशो आराम में खूब धन कर्च करता है, बड़े बड़े निवेश भी करता है और अपने हिसाब से ही काम करना पसंद करता है |
विमल राजयोग में व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं होती है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। व्यक्ति आध्यात्मिक क्षेत्र में जातक प्रगति करता है। हालांकि अगर द्वादश भाव का स्वामी जब द्वादश में ही हो तो वह व्यक्ति को जीवन में परेशानियां देता है। इतना ही नहीं इससे धन हानि भी होती है। https://www.pinterest.com/pin/672091944418300329/
सरल राजयोग
अगर जन्मपत्रिका में अष्टम भाव का स्वामी त्रिक भावो में से कहीं भी बैठ जाए तो सरल नाम का विपरीत राज योग बनता है |सरल योग के होने से जातक अनुसन्धान के कार्य में सफल होता है, ऐसे व्यक्ति का तार्किक दिमाग बहुत अच्छा होता है, जीवन में समय समय पर आकस्मिक बड़े लाभ होते हैं और आकस्मिक रूप से बड़े बड़े परिवर्तन होते हैं जो की जीवन को बदल देते हैं | ऐसे जातक अगर अध्यात्म में हो तो बहुत ऊँचा स्थान प्राप्त करते हैं, अगर वैज्ञानिक बन जाए तो बहुत बड़ी खोज कर लेते हैं, नौकरी या व्यापार में हो तो नए नए तरीको से अपने कार्यो को अंजाम देते हैं |
सरल राजयोग में व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। इतना ही नहीं इस योग की वजह से व्यक्ति के जीवन में चारित्रिक योग से सकारात्मक बदलाव आते हैं। आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। इतना ही नहीं इस योग को बेहद सुखद माना जाता है। ुंडली का छठा भाव ऋण स्थान होता है। यदि किसी जातक पर लाखों रुपए का कर्ज है और कोई ऐसा रास्ता निकल आता है या किसी की मदद से वह कर्ज एक झटके में उतर जाए तो समझना चाहिए जातक को विपरीत राजयोग का फल मिला है।
Benefits and importance of Viparita Raj Yoga विपरीत राज योग के लाभ और महत्व
विपरीत राजयोग कोई अत्यंत श्रेष्ठ राजयोग नहीं है क्योंकि जातक को सफल होने के लिए अनेक बाधाओं को पार करना पड़ता है। इस तथ्य के बावजूद कि शुरुआत निश्चित रूप से कठिन होगी, सभी कठिनाइयों के बावजूद सफलता प्राप्त होगी।सबसे बुरी स्थिति में भी, विपरीत राज योग व्यक्ति की स्थिति को एक विश्वसनीय नेता के रूप में ऊपर उठाता है। भले ही जातक बाधाओं पर विजय प्राप्त कर ले, फिर भी भविष्य में इससे भी बदतर परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। वे परिस्थितियाँ जो अशांति, पीड़ा और पीड़ा का कारण बनती हैं।
विपरीत राज योग के प्रत्येक रूप के अपने फायदे हैं:
हर्ष विपरीत राज योग स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य और भाग्य प्रदान करता है। उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है जो विरोधियों पर विजय प्राप्त करता है और इस प्रक्रिया में प्रसिद्धि और गौरव प्राप्त करता है।
सरल विपरीत राज योग अभ्यासकर्ता को ज्ञान और शक्ति प्रदान करता है। यह जातक को प्रभावशाली उपस्थिति और कठिनाइयों को हल करने की क्षमता प्रदान करता है।
विमला विपरीत राज योग एक हंसमुख रवैया, एक सम्मानजनक करियर और जीवन पर आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान करता है, साथ ही महत्वपूर्ण धन भी एकत्रित करता है।
When does the person not get the result of Viparita Rajyoga? जातक को विपरीत राजयोग कब फल प्राप्त नहीं होता ?
विपरीत राजयोग रद्दीकरण के नियम नीचे दिखाए गए हैं:त्रिनेत्र भावों का स्वामी वीषमस्थान का भी स्वामी है।
जब विषम स्थान भाव का कोई भी स्वामी परिवर्तन योग में संलग्न होता है।
दशम या त्रिक भाव के स्वामी को दुशमस्थान घर में मौजूद नहीं होना चाहिए जहां विपरीत राज योग होता है।
अगर कुंडली में लग्न कमजोर हो तो ऐसे में जन्म पत्रिका में विपरीत राजयोग होने पर भी जातक का जीवन संघर्ष से भरा होता है और ऐसे में कुछ ठोस उपायों को करने की आवश्यकता होती है |लग्नेश अगर बली हो तभी ही विपरीत राजयोग के फल प्राप्त होंगे लग्नेश बली और डिग्री वाइज बलाबल होना जरूरी है ।अगर ६,८,१२ भाव का मालिक नीच का हो जाये तो वो विपरीत राजयोग में नहीं आएगा बल्कि बुरा प्रभाव देगा।अगर विपरीत राजयोग बन रहा है और उसकी दशा अंतरदशा चल रही हो तो सिर्फ उस ग्रह की पूजा पाठ की जा सकती है ।
अगर ग्रह कुंडली में कमजोर हो तो भी इसका अपेक्षित फल प्राप्त नहीं होता है |
Viparita Raja Yoga Calculator विपरीत राज योग कैलकुलेटर
इस योग की प्रभावशीलता की कुंजी ग्रहों का समय है। विपरीत राजयोग तब तक अच्छे या बहुत अच्छे परिणाम दे सकता है जब तक इस योग को निर्देशित करने वाले ग्रहों की ग्रह अवधि प्रभावी होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जैसे ही ये ग्रह अपने ग्रह काल के दौरान ताकत हासिल करते हैं, कुंडली का संपूर्ण संतुलन आशावाद की ओर अधिक झुक सकता है। हालाँकि, जब विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह की ग्रह अवधि सक्रिय होती है, तो जातक को कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है। यह इस तथ्य के कारण है कि अपने ग्रह काल के दौरान, ऐसे ग्रह को अतिरिक्त शक्ति प्राप्त होती है।विपरीत राज योग प्रसिद्ध हस्तियाँ
महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की कुंडली में आठवे भाव का स्वामी छठे भाव में बैठा है जिसके कारण सरल विपरीत राजयोग बनता है और इनके जीवन को अगर आप देखे तो खूब मेहनत के बाद इन्होने अपना एक अलग मुकाम पाया परन्तु यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है की जब भी इन्हें कप्तान बनाया गया तो ये प्रेशर मे आ गए और इनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ | इनके जीवन साथी भी इनके जीवन में अचानक से आई और रहस्यमय तरीके से इनका प्रेम जीवन शुरू हुआ | अमिताभ बच्चन जी | इनकी कुंडली में आठवे भाव का स्वामी आठवें भाव में ही मौजूद है जिसके कारण सरल विपरीत राजयोग बनता है, इनका जीवन बहुत ही रहस्यमय तरीके से बदला जिसके बारे में सभी जानते हैं | इनके जीवन में इतने बड़े परिवर्तन हुए की साधारण व्यक्ति तो जी ही नहीं पाता परन्तु संघर्षो के बाद आज वे अपना अलग ही मुकाम रखते हैं |
राज कपूरजी , इन्होने तो बॉलीवुड को एक नई दिशा दी है | इनकी कुंडली में देखे तो बारहवें भाव का स्वामी छठे भाव में बैठा है और विमल विपरीत राजयोग का निर्माण करता है | इन्होने भी खूब संघर्ष किया और एक अलग ही मुकाम हासिल किया है इस दुनिया में और इनका जीवन भी बहुत रहस्यमय तरीके से बदलता गया था
इसके अतिरिक्त राजीव गांधी को अपनी मां के मरने पर मिली प्रधानमंत्री की गद्दी हो , ज्योतिरादित्य सिंधिया को पिता माधवराव सिंधिया के अकस्मात मृत्यु से मिली राजनैतिक विरासत आदि इसके उदाहरण है । राबड़ी देवी का लालू के जेल जाने पर मुख्यमंत्री बनना भी विपरीत राजयोग का उदाहरण है ।
conclusion निष्कर्ष
तो देखा जाए तो विपरीत राजयोग सिर्फ सफलता को ही नहीं दिखता है अपितु संघर्ष के बाद सफलता को दर्शाता है | अगर आपके कुंडली में भी ये योग है तो संघर्ष के बाद सफलता के लिए तैयार रहे और ये योग अगर कमजोर है तो उसका फायदा उठाने के लिए अपनी कुंडली जरुर दिखाए उपसंहार: विपरीत राजयोगविपरीत राजयोग का मूल्यांकन करना अत्यंत कठिन है। इससे पहले कि आप सही निष्कर्ष पर पहुंच सकें, अनगिनत क्रमपरिवर्तन और संयोजनों को समझना होगा। जिन जातकों के दुषमस्थ घर में दुषमस्थान स्वामी होता है, उन्हें परिस्थितियों के विपरीत किसी न किसी प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है। जातक को आशीर्वाद अक्सर प्रतिकूल या विपरीत परिस्थितियों में भी मिलता है। इसका मतलब है कि अधिकांश व्यक्ति भागने का विकल्प चुन सकते हैं; विपरीत राजयोग इसके बजाय समान या अधिक कठिन परिदृश्यों का सामना करना चुन सकता है।
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