Monday, December 11, 2023

Marak Yog Angarak Yog

 Jyotish ka Marak Yog 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगल वह ग्रह है जो ऊर्जा, क्रिया, सहनशक्ति, साहस, इच्छा-शक्ति, आत्म-नियंत्रण और आत्मविश्वास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों या कारकों का प्रतिनिधित्व करता  है। यदि मंगल उच्च भाव में हो तो वह जातक के लिए शुभ माना जाता है लेकिन वहीं अगर मंगल छाया ग्रह राहु की संगति में हो तो वह विषम स्थिति को जन्म देता है। इस योग को अंगारक योग कहा जाता है।  इस योगके कारण, मंगल के गुणों में तीव्रता से वृद्धि होती है, लेकिन आवश्यक रूप से परिष्कृत तरीके से नहीं। यह योग किसी व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करता है और विभिन्न भावों में इस योग की क्या विशेषताएं होती हैं।  जब किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी घर में राहु और मंगल ग्रह साथ-साथ हों तो अंगारक योग बनता है और अंगारक योग एक अशुभ योग है। जिस भाव में यह योग बन रहा है, उसी को पीड़ित कर देता है। मंगल और राहु के योग से बनने वाला अंगारक योग यदि शुभ नक्षत्र, शुभ राशि, व अनुकूल भाव में बन जाए तो यह कई बार बड़ी सफलता, यश-मान भी दिलाता है जैसे-: यह व्यक्ति को स्पोर्ट मैन, फौज- पुलिस में बड़ा अधिकारी, सर्जन- डॉक्टर भी बना सकता है। 

Marak Yog Angarak Yog


Angarak Yog :

अंगारक योग 

 ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगल वह ग्रह है जो ऊर्जा, क्रिया, सहनशक्ति, साहस, इच्छा-शक्ति, आत्म-नियंत्रण और आत्मविश्वास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों या कारकों का प्रतिनिधित्व करता  है। यदि मंगल उच्च भाव में हो तो वह किसी भी जातक के लिए शुभ मन जाता है लेकिन वहीं अगर मंगल छाया ग्रह राहु की संगति में हो तो वह विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों को जन्म देता है। इस योग को अंगारक योग कहा जाता है।  इस योगके कारण, मंगल के गुणों में तीव्रता से वृद्धि होती है, लेकिन आवश्यक रूप से परिष्कृत तरीके से नहीं। यह योग किसी व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करता है और विभिन्न भावों में इस योग की क्या विशेषताएं होती हैं।  जब किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी घर में राहु और मंगल ग्रह साथ-साथ हों तो अंगारक योग बनता है और अंगारक योग एक अशुभ योग है। जिस भाव में यह योग बन रहा है, उसी को पीड़ित कर देता है। मंगल और राहु के योग से बनने वाला अंगारक योग यदि शुभ नक्षत्र, शुभ राशि, व अनुकूल भाव में बन जाए तो यह कई बार बड़ी सफलता, यश-मान भी दिलाता है जैसे-: यह व्यक्ति को स्पोर्ट मैन, फौज- पुलिस में बड़ा अधिकारी, सर्जन- डॉक्टर भी बना सकता है। 

अंगारक योग के जातक पर हमेशा दुर्घटना का भय भी बना रहता है. अंगारक योग का प्रभाव होने से व्यक्ति को रक्त और त्वचा संबंधी रोग लगे रहते हैं. इन लोगों को प्यार में धोखा मिलता है और इनका वैवाहिक जीवन भी ठीक नहीं रहता है. अगर मंगल और राहु की युति कुंडली के छठे घर में हो तो ये जातक कोर्ट-कचहरी के मामलों में हमेशा फंसे रहते हैं. अगर मंगल और राहु की युति मारक अवस्था में 12वें घर में हो, तो ऐसे लोग जेल भी जा सकते हैं. इसके नकारात्मक प्रभाव से अमीर व्यक्ति भी कंगाल हो जाता है.

 सभी भावों में अंगारक योग के प्रभाव 

लग्न भाव 

कुंडली के लग्न भाव यानी प्रथम भाव में अंगारक योग बनना सबसे अधिक खतरनाक है। इस घर में अंगारक योग बनने पर व्यक्ति को पेट संबंधित बीमारियों से जूझना पड़ता है, उसे शारीरिक चोटों का सामना करना पड़ता है। ऐसा व्यक्ति अस्थिर मन वाला और क्रूर हो जाता है।

दूसरा भाव 

कुंडली के दूसरे घर में अंगारक योग बनने पर व्यक्ति का जीवन आर्थिक लिहाज से उतार-चढ़ाव वाला हो जाता है।

तीसरा भाव

कुंडली के तीसरे घर में अंगारक योग बनना रिश्ते पर प्रतिकूल असर डालता है। ऐसे व्यक्ति के भाइयों से संबंध कड़वे रहते हैं। यह व्यक्ति धोखेबाजी से सफलता प्राप्त करने की कोशिश करता है। इस भाव में बना हुआ अंगारक योग काफी बार फौज- पुलिस- स्पोर्ट मैन - डॉक्टर बनने के भी अच्छे योग बनता है।

चौथा भाव 

चौथे भाव में अंगारक योग बनने पर माता को दुख प्राप्त होता है, ऐसे व्यक्ति को भूमि विवाद भी झेलना पड़ता है। जमीन- जायदाद संबंधित केस- मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है।

पांचवां भाव

कुंडली के पांचवें भाव में अंगारक योग बनने पर संतानहीनता हो सकती है। यह योग जुए सट्टे से लाभ भी दिलाता है।

छठां भाव

कुंडली के छठें भाव में अंगारक योग बनने पर ऋण लेकर किए कार्य में उन्नति होती है। इस योग के कारण कुंडली में शुभ-अशुभ ग्रहों की परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति कातिल या सर्जन भी बन सकता है।

सातवां भाव

कुंडली के सप्तम भाव में अंगारक योग बनने पर व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह योग व्यक्ति को नाजायज संबंध वाला, विधवा या विधुर बना सकता है। यह अंगारक दोष दांपत्य जीवन में लड़ाई- झगड़ा- मुकदमे देने वाला होता है।

आठवां भाव 

कुंडली के अष्टम भाव में अंगारक योग बनने से व्यक्ति को पैतृक संपत्ति मिलती है लेकिन वह उसे बर्बाद कर देता है और अष्टम भाव का अंगारक दोष लड़ाई- झगड़ा केस- मुकदमे, सड़क दुर्घटना का प्रबल योग बनाता है। 

नवम भाव 

कुंडली के अष्टम भाव में अंगारक योग व्यक्ति को भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी और तंत्रमंत्र में लिप्त रहने वाला बनाता है। यदि यह अंगारक योग शुभ राशि व शुभ नक्षत्र में बन जाए तो व्यक्ति का भाग्य भी चमका सकता है।

दसवां भाव 

कुंडली के दशम भाव में अंगारक योग व्यक्ति को मेहनती, कर्मठ और स्पोर्ट्समैन, फौज, पुलिस सर्जन बना सकता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में अत्यधिक सफल होते हैं।

ग्यारहवां भाव 

ऐसे व्यक्ति को प्रॉपर्टी से लाभ मिलता है। हालांकि ग्यारहवें भाव में अंगारक योग जातक को चोर, कपटी और धोखेबाज भी बना सकता है। ऐसा व्यक्ति बेईमान से बहुत धन प्राप्त करता है।

बारहवां भाव 

ऐसा व्यक्ति जिसके 12वें भाव में अंगारक योग बनता है, वह आयात-निर्यात में सफल होता है। ऐसे व्यक्ति को रिश्वतखोरी से लाभ मिलता है। ऐसा अंगार योग संपत्ति बर्बाद करा सकता है और चरित्र में भी दोष उत्पन्न कर सकता है।

यदि मंगल उच्च भाव में हो तो वह किसी भी जातक के लिए शुभ मन जाता है लेकिन वहीं अगर मंगल छाया ग्रह राहु की संगति में हो तो वह विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों को जन्म देता है। इस योग को अंगारक योग कहा जाता है।  

अंगारक योग का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव – sakaaraatmak prabhaav

जातक का झुकाव राजनीति की ओर होगा 

जातक बहुत मेहनती और सक्रिय है, तो वह सफल होगा और महान ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।

जातक व्यापार साझेदारी में बहुत धन कमाएगा।

लग्न के स्वामी और भाग्य पक्ष बली होने पर जातक धनवान होगा।

नकारात्मक प्रभाव – nakaaraatmak prabhaav

जब राहु और मंगल अशुभ हो जाते हैं, तो निम्न प्रभाव सामने आते हैं :

जातक शांति से  नहीं रहेगा यदि वह राजनीति का चुनाव  करता है।

पैतृक संपत्ति से जुड़े मामलों में बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।

जातक बहुत आक्रामक होगा जिससे परिवार मे अचानक अलगाव उत्पन्न होगा 

जातक को  को आलसी, आक्रामक और स्वार्थी नहीं होना चाहिए, यह उसके लिए अशुभ प्रभाव उत्पन्न करता  है।

अगर जातक हिंसक और बुरे स्वभाव का होगा तो उसमें नकारात्मकता और बदले के विचार पैदा होंगे

महिला जातक को अक्सर परिवार मे तानों का शिकार होना पड़ेगा, और आक्रामक विचार मिलेगे जिससे विवाहित जीवन दुखी हो सकता है।

व्यवसाय में गलतफहमी के कारण जातक नुकसान उठाएगा 

जातक पैतृक संपत्ति गवा देगा 

व्यक्ति जीवन मे बहुत ज्यादा संघर्ष करेगा। 

जातक को हमेशा डॉक्टरों और वकीलों का दौरा करना होगा।

जातक को पेट,लीवर,आंतों से संबंधित बीमारी हो सकती है।

अगर लग्न का स्वामी और भाग्य पक्ष मजबूत न हो तो जातक अपना सब कुछ खो देगा।

जातक की माँ जल्दी मर सकती है या ज्यादातर समय बीमार रह सकती है।

राहु और मंगल एक दूसरे के घोर विरोधी होते हैं. किसी भी राशि या भाव में युति होने से इनका अशुभ प्रभाव और बढ़ जाता है. मंगल और राहु की युति को अंगारक योग कहा जाता है. नाम की तरह ही ये योग अंगारे जैसा फल देने वाला योग माना जाता है. इस योग के प्रभाव से इंसान क्रोधी और हिंसक हो जाता है. जातक की बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती है. जिन लोगों की कुंडली में ये योग बनता है उन लोगों की अपने भाइयों और मित्रों से अनबन बनी रहती है. 

अंगारक योग के उपाय

अंगारक योग के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए 

हर रोज हनुमान चालिसा, बजरंग बाठ, सुंदर कांड और हनुमाष्ट का पाठ करना चाहिए।

अंगारक योग से बचने के लिए राहु और मंगल के मंत्रों का हर रोज जप करना चाहिए और पूजा स्थल पर इनके यंत्रों की स्थापना करके विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। साथ ही आप जरूरतमंदों को दान करें। दान देने से राहु और मंगल प्रसन्न होते हैं और अपना शुभ प्रभाव देना शुरू कर देते हैं। साथ ही आप नहाने के पानी में इत्र या चंदन डालकर स्नान करें।

अंगारक योग के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए बड़े भाई की सेवा करें, उनको उपहार दें और आशीर्वाद लें क्योंकि बड़े भाई पर मंगल का प्रभाव रहता है। अगर आप बड़े भाई की सेवा करते हैं तब आप मंगल की भी सेवा कर रहे होते हैं। इसलिए मंगल के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए यह सबसे उत्तम उपाय है। इसके साथ ही आप बेड़रूम या फिर बटुए में मोर पंख रखें, ऐसा करने से आप राहु की दशा से बच सकते हैं।

राहु और मंगल की युति से बना अंगारक योग का असर कम करने के लिए अपने वजन के बराबर कच्चा कोयला चलते पानी में प्रवाहित कर दें।

 ऐसा करने से इस योग की वजह से हो रहे लड़ाई-झगड़े में कमी आएगी और व्यवसाय में तरक्की के योग बनेंगे। इसके साथ ही आप भैरवजी को केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं और देसी घी के दीपक को हर रोज मंदिर में जलाएं। https://in.pinterest.com/pin/672091944418510561/

 व्रत और उपाय

अंगारक योग की अशुभ दशा से बचने के लिए 21 या 45 मंगलवार तक व्रत रखें और सुबह हर रोज बजरंगबली के पैर का सिंदूर अपने माथे पर लगाएं। इसके साथ ही चांदी धातु से बनी नाग की आकृति वाली अंगूठी को अनामिका अर्थात छोटी उंगली में धारण करें। जिस दिन यह अंगूठी धारण करें, उस दिन राहु से संबंधित जैसे गेंहू, कंबल, तेल, नारियल, मूली, कोयले आदि का दान करें।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मंगलवार के दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमानजी को लेप लगाएं और मिष्ठान अर्पित करें। इसके साथ ही कबूत को हर रोज बाजार खिलाएं। ऐसा करने से अंगारक योग के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और सभी कष्टों से समाधान मिलता है।

व्यक्ति को मांत्रिक ध्यान  अवश्य करना चाहिए क्योंकि इससे अत्यधिक लाभ होता है। अत्यधिक असरदार तरीका है एक महीना ऐसा कर के देखें विश्वास करिए आपको इतनी शांति मिलेगी कि फिर आप मांत्रिक ध्यान  क्रिया को छोड़ना नहीं चाहेंगे। 

हर दिन ध्यान करें और अपनी वाणी पर संयम रखें. मंगलवार के दिन बंदरों को भोजन कराने से भी इस योग के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. शनिवार के दिन काली उड़द की दाल दान करने से भी लाभ होता है। 

अंगारक योग के उपाय में दूसरा उपाय है चांदी के आभूषणों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। 

लग्न कुंडली में मंगल अगर मारक हो तो मंगल का उपाय करिए और अगर राहु मारक हों तो उनका उपाय करे लेकिन यदि दोनों ही मारक हों तो दोनों का उपाय करना चाहिए। इसके उपाय में इनका बीज मंत्र है एक तो और दूसरा है दान करना। बीज मंत्र का जाप आप फिर भी योगकारक ग्रहों का कर सकते हैं लेकिन दान केवल मारक ग्रहों का ही किया जाता है। इसलिए दान करने से पहले अच्छी तरह पता कर लेना उचित होगा कि मंगल और राहु मारक है अथवा योगकारक।

मंगल और राहु के मंत्रों का नियमित रूप से जाप करना चाहिए. इससे व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

जिन लोगों पर अंगारक योग का प्रभाव हो उन लोगों को चांदी का कड़ा पहनना चाहिए. आप अपने पर्स में चांदी का चौकोर टुकड़ा भी रख सकते हैं. ऐसे लोगों को सोना पहनने से परहेज करना चाहिए. इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. मंगलवार को गाय को गुड़ खाने को दें. 

 निष्कर्ष

मंगल और राहु दोनों ही दुष्ट ग्रह हैं, इसलिए दोनों का मिलना अपने आप में एक बड़ा दोष है।

"अंगारक दोष" में अंगारक अग्नि को दर्शाता है जो मंगल की प्रकृति है।

यदि मंगल मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, वृश्चिक या धनु जैसे राहु या केतु के साथ के रूप में दिखाई देता है तो प्रभाव बहुत बढ़ जाता है।

यह कुंडली में सबसे खराब योगों में से एक है क्योंकि यह व्यक्ति को क्रोध से विस्फोट करता है। बदले में क्रोध तर्कसंगत सोच और सामान्य ज्ञान को नष्ट कर देता है। राहु सह-भागी  के रूप में मंगल के नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है जिससे क्रोध बढ़ता है। इस तरह के व्यक्ति छोटे उकसावों मे क्रोध उत्पन्न करते हैं। 

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