Janam Kundali me Chandrama Mahadasha
जनम कुंडली मे चंद्रमा की महादशा
चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बाईं आंख, छाती आदि का कारक होता है। चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। इसका आकार ग्रहों में सबसे छोटा है परंतु इसकी गति सबसे तेज़ होती है। चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। यह लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। चंद्रमा ग्रह की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्रमा ग्रह की गति से ही बनती हैं। वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति की चंद्रमा राशि को आधार माना जाता है। जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है वह जातकों की चंद्रमा राशि कहलाती है।
चंद्रमा महादशा 10 वर्ष की वह अवधि है जब चंद्रमा का प्रभाव आपकी कुंडली पर सबसे अधिक होता है। चंद्रमा माँ, स्त्रीत्व, सौंदर्य, कला, विलासिता, समृद्धि, कोमलता, धन और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए, इस समयावधि (दशा) के दौरान, व्यक्ति की कला में अचानक रुचि बढ़ने लग जाती है। आपका मन अध्यात्म की ओर रुझान महसूस करने लगेगा। आपको ज्ञान और बुद्धि भी प्राप्त होगी और आपकी रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा। हालाँकि यह अवधि नकारात्मक प्रभाव के रूप में आपके मन में बेचैनी, मानसिक तनाव और चिंता भी लेकर आएगी।
Moon Mahadasha Positive Effects
चंद्रमा महादशा सकारात्मक प्रभाव
1. भावुकता और संवेदनशीलता: चंद्रमा की महादशा में व्यक्ति अधिक संवेदनशील और सहज होता है। उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और दूसरों की भावनाओं को समझने की क्षमता मिलती है। यह उन्हें समाज में आने वाली समस्याओं को समझने और समझौता करने में मदद कर सकता है।
2. आनंद और सुख: चंद्रमा महादशा में व्यक्ति को आनंददायक और सुखद अनुभव हो सकते हैं। यह दशा उन्हें परिवार, घर, संगठन, सामाजिक संबंधों, मातृत्व और अन्य सामान्य जीवन के क्षेत्रों में शांति, समृद्धि और सुख का अनुभव करने में मदद कर सकता है।
3. सामरिक और रचनात्मक क्षेत्र में सफलता: चंद्रमा महादशा के दौरान व्यक्ति को सामरिक क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। इस दशा में उन्हें कला, संगीत, नृत्य, लेखन, रचना और अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में अच्छी प्रगति और प्रशंसा मिल सकती है।
4. मातृत्व की क्षमता: चंद्रमा महादशा व्यक्ति को मातृत्व की क्षमता में सुधार कर सकती है। इस दशा में व्यक्ति मातृत्व, पालन-पोषण और संबंधों के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन देख सकता है। वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ अधिक संवेदनशील और सहयोगी हो सकते हैं और मातृत्व के गुणों को अधिक सुसंगत ढंग से व्यक्त कर सकते हैं।
यदि व्यक्ति की जन्मकुंडली में अन्य ग्रहों और योगों की स्थिति भी सकारात्मक है, तो चंद्रमा महादशा उन्हें और भी अधिक सकारात्मक प्रभाव प्रदान कर सकती है। हालांकि, यह ज्योतिष के अनुसार आपकी व्यक्तिगत जन्मकुंडली पर भी निर्भर करेगा। इसलिए, जन्मकुंडली के आधार पर किसी व्यक्ति के चंद्रमा महादशा के सकारात्मक प्रभाव की विशेषताएं निर्धारित की जा सकती हैं।
Negative effect of Moon Mahadasha
चंद्रमा महादशा का नकारात्मक प्रभाव
चंद्रमा महादशा का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कुछ संभावित परिणामों की प्रक्रिया में हो सकता है। चंद्रमा को ज्योतिष में चंद्रमा ग्रह के रूप में मान्यता है और इसे जीवन की भावनाओं, मनोवृत्तियों, भावुकताओं, संवेदनशीलताओं और आनंद का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा महादशा के दौरान निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
1. भावनात्मकता और मनोवृत्ति की अस्थायित्व: चंद्रमा महादशा के दौरान व्यक्ति अत्यधिक भावुक और भावनात्मक हो सकता है, जिसके कारण मनोवृत्ति की अस्थायित्व एवं मनोभ्रंश हो सकता है। ऐसे समय में व्यक्ति भावनाओं के बादल में फंस सकता है और संवेदनशीलता के कारण आंशिक या पूर्ण तौर पर अप्रभावित हो सकता है।
2. मनोदशा की परिवर्तन: चंद्रमा महादशा के दौरान मनोदशा में अस्थायी बदलाव हो सकता है। व्यक्ति आंशिक या पूर्णतः अस्थिर हो सकता है, जिससे संगठन और नियमितता की कमी हो सकती है। यह उन्हें कार्यक्षेत्र में स्थिरता और निर्धारित उद्देश्य की प्राप्ति में अड़चन उत्पन्न कर सकता है।
3. भावी योजनाओं की अस्थायित्व: चंद्रमा महादशा के दौरान व्यक्ति की भावी योजनाओं में अस्थिरता और अनिश्चितता हो सकती है। यह उन्हें समय, धन, और संसाधनों की अनिश्चितता से प्रभावित करके अस्थायीपरिणामों के कारण अनिच्छुकता और मानसिक तनाव का अनुभव करवा सकती है।
4. परिवार और संबंधों में समस्याएं: चंद्रमा महादशा के दौरान परिवार और संबंधों में विपरीतता और तकरारों की स्थिति बन सकती है। यह अनिश्चितता और अस्थायित्व का समय हो सकता है, जिसके कारण परिवारिक माहौल प्रभावित हो सकता है।
5. आर्थिक परेशानियाँ: चंद्रमा महादशा में आर्थिक स्थिति में अस्थिरता हो सकती है और आर्थिक परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। व्यक्ति की आय और व्यय में अस्थिरता हो सकती है और वह वित्तीय सुरक्षा की कमी का अनुभव कर सकता है।
यह अहम ध्यान देने योग्य है कि ज्योतिष एक विज्ञान नहीं है और इसका निष्पक्ष विश्लेषण करने के लिए कई अन्य कारकों का ध्यान रखना चाहिए। व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालने वाले अनुभवों का व्यक्ति के अनुभव, कर्म, और सामर्थ्यों पर भी प्रभाव होता है। इसलिए, यदि किसी व्यक्ति की चंद्रमा महादशा चल रही है, तो उन्हें अपने कार्यों, संबंधों, और आवश्यकताओं के प्रति सचेत रहने की सलाह दी जाती है।
Result of planetary antardasha in Moon Mahadasha -:
चंद्रमा महादशा मे ग्रहो की अंतर्दशा का फल -:
चंद्रमा महादशा में चन्द्रमा की अंतर्दशा फल-:
चंद्रमा की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा जब आती है उस समय जातक को मानसिक शांति, माता के स्वास्थ्य व सुख में वृद्धि, घर में संतति रूप में कन्या का जन्म होना, साधु संतों का आगमन बना रहना, धार्मिक कार्यों में मन न लगना, दांपत्य जीवन में माधुर्य भाव में वृद्धि होना। इस प्रकार चंद्रमा जिस भाव का स्वामी हो जिस भाव में विद्यमान हो और जिस भाव को देख रहा हो उन भावों के सुफलो में वृद्धि करता है। यदि चंद्रमा उच्च का और पाप ग्रह से दृष्ट नहीं हो तो अति शुभ फलदायक होता है।
चंद्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशाफल -:
चंद्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशा जातक के लिए विशेषकर अशुभ फल परिणाम देने वाली होती है जैसे जातक के जीवन में पितरों का प्रकोप बढ़ना, अग्नि का प्रकोप बढना अर्थात अग्नि से नुकसान होना, रक्त की खराबी के कारण रक्त संबंधी रोगों में वृद्धि, घर परिवार में चोरी की वारदात का होना, अनावश्यक धन खर्चे जैसे अशुभफल जातक को प्राप्त होते हैं
और यदि जन्म कुंडली में मंगल शुभ भाव का स्वामी होकर अत्यधिक शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को भवन वाहन का सुख भी प्राप्त करवाता है।
चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा फल -:
चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा मुख्य रूप से अनिष्ट फल देने वाली ही होती है इस दशा के दौरान जातक का मानसिक संतुलन अत्यधिक अस्वस्थ होता है जातक मानसिक रूप से असंतुष्ट होता है और जहां मन ही संतप्त हो ऐसे जातक को किसी प्रकार का सुख प्राप्त होना संभव नहीं होता है। अतः इस समय जातको के अनेक अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जातक के जीवन में कोई ऐसी अप्रिय घटना घटित होती है जिसे जातक अपने जीवन में जीवन पर्यंत नहीं भुला पाता है। इसी के साथ इस समय जातक के मन में अस्थिरता व वायु विकार जैसी बीमारियां होती है।
चंद्रमा की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा फल -:
जातक के जीवन में जब चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतर्दशा आती है तो यह समय जातक के लिए सामान्य रूप से शुभ फल प्रदान करने वाला ही घटित होता हैै। अतः इस समय जातक को धन धन प्राप्ति के अवसरों में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। जातक के मान सम्मान मैं वृद्धि होने के साथ-साथ जातक को राजकीय क्षेत्र में लाभ प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं। जातक का मन धार्मिक कार्यों में लगता है। मन प्रसन्न रहने के साथ साथ घर परिवार में धार्मिक कार्यों का आयोजन बना रहता है। तथा जन्म कुंडली के जिस भाव में गुरु विद्यमान हो कर जिन जिन भावों से दृष्टि संबंध बनाता है। उन भावों के सुफलो में वृद्धि करता है।
चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा फल -:
जातक के जीवन में चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा जातक को अनेकों अनेक प्रकार की विपत्तियां व कष्टों को प्रदान करने वाली होती है। इस समय में जातक का मन शांत होता है तथा असाध्य रोगों में वृद्धि होती है। इस समय मित्र पुत्र स्त्री अथवा परिवार जन के किसी भी सदस्य के स्वास्थ्य में अत्यधिक गिरावट होती है। और विशेषकर यदि जन्म कुंडली में शनि 6 8 12 में अनिष्ट कारी हो तो यह समय जातक के लिए बहुत अधिक कष्ट प्रदान करने वाला होता है। यहां तक कि जातक को मरणतुल्य दुखों की प्राप्ति होती है।
चंद्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा फल -:
चंद्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा यदि जन्म कुंडली में बुध शुभभाव का मालिक हो तथा शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को संबंधित भाव के फलों में वृद्धि करता है और बुध जिन कारक तत्वों का कारक होता है। उनके फलों में वृद्धि करता है और जातक को धन प्राप्ति के अवसर प्रदान करता है वाणी में चतुरता लाता है तथा जातक को सांसारिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति में सहायक होता है।
चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा फल -:
चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा मुख्य रूप से अनिष्ट कारी फल प्रदान करने वाली होती है। जातक के जीवन में जब चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा आती है उस सयय जातक के मन में अस्थिरता का भाव अधिक रहता है, मन संतप्त रहता है घर परिवार में सुख शांति का अभाव होता है। तथा घर परिवार में कलह का वातावरण रहता है। इसी के साथ-साथ जातक का स्वास्थ्य कमजोर होता है अनावश्यक धन का नष्ट होना देखा जाता है।निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि यह समय जातक के लिए पूर्ण रूप से निराशा से भरा हुआ होता है और अधिकांश कार्यो में जातक को निराशाजनक फलों की प्राप्ति होती है।
चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का फल-:
चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा जातक के जीवन में जब आती है तो सामान्य रूप से शुक्र यदि जन्म कुंडली के शुभ भाव में विद्यमान हो तो जिस भाव में विद्यमान होता है तथा जिस भाव से दृष्टि संबंध बनाता है उससे संबंधित शुभ फलों में वृद्धि करता है। अतः जातक को सांसारिक भोगों के साधनों में वृद्धि कराता है सांसारिक वासनाओं की पूर्ति में सहायक बनता है। घर परिवार स्त्री सुख पुत्र सुख में वृद्धि कराता है और यदि शुक्र जातक की जन्म कुंडली में अशुभ भाव का स्वामी होकर पाप ग्रह से दृष्ट हो तो जातक को इसके विपरीत शुक्र से संबंधित कारक फलों की प्राप्ति में न्यूनता लाता है।
चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा फल -:
चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा जातक को शुभ फल प्रदान करने वाली होती है इस समय जातक को मान सम्मान धन प्राप्ति के अवसरों में वृद्धि होने के साथ-साथ पुराने चले आ रहे रोगों से भी छुटकारा प्राप्त होता है। जातक के पराक्रम में वृद्धि होने के साथ-साथ जातक को पुत्र धन व राज के कार्यों में सफलता प्राप्त होने की संभावना अधिक बनती है। जातक के शत्रु भयभीत होते हैं। इस प्रकार यदि सूर्य जन्म कुंडली में शुभ भाव का स्वामी हो और शुभ राशि में विद्यमान हो तो जातक को संबंधित भाव के फलों में अतिशय वृद्धि करके जातक को सुफल परिणाम प्रदान करता है।
Remedies for auspicious effects of Moon
चंद्रमा के शुभ प्रभाव के लिए उपाय
यदि आपकी वर्तमान में चंद्रमा महादशा चल रही है और आपको इसके दौरान किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो आप निम्नलिखित उपायों को अपना सकते हैं:
1. चंद्रमा की पूजा: चंद्रमा की पूजा करने से आप चंद्रमा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। आप प्रतिदिन चंद्रमा की आराधना, मंत्र जाप और ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं। चंद्रमा के मंत्रों में से कुछ हैं: "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमामसे नमः" और "ॐ सोम सोमाय नमः"।
2. रत्न धारण करें: चंद्रमा के रत्न, मोती (Pearl), सफेद पुखराज (White Sapphire) या चांदी (Silver) का उपयोग करने से आपको चंद्रमा की शक्ति मिल सकती है। आपको एक ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए और अपने रत्न की गुणवत्ता, संबंधित मणि रत्न के बारे में जानकारी और धारण करने के नियमों को समझना चाहिए।
3. चंद्रमा की देवी की पूजा: चंद्रमा की देवी, माता चंद्रिका की पूजा करने से आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। आप चंद्रिका माता की मूर्ति या यंत्र के सामने ध्यान और पूजा कर सकते हैं।
4. चंद्रमा मंत्र जाप: चंद्रमा मंत्रों की जाप आपको चंद्रमा की शक्ति में स्थिरता देने में मदद कर सकता है। आप दैनिक या नियमित रूप से चंद्रमा मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जैसे "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमामसे नमः" या "ॐ सोम सोमाय नमः"।
5. ध्यान और प्राणायाम: चंद्रमा की महादशा के दौरान ध्यान और प्राणायाम करना आपको मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान कर सकता है। नियमित रूप से अध्यात्मिक अभ्यास करने से आप चंद्रमा के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं।
6. कर्मकाण्ड उपाय: ज्योतिष में विभिन्न कर्मकाण्ड उपाय भी सुझाए जाते हैं, जैसे दान, व्रत, पुण्य कर्म आदि। चंद्रमा महादशा के दौरान आप अपने गुणाकर्म को सुधारने और पुण्य कर्मों को बढ़ाने के लिए इन कर्मकाण्ड उपायों का पालन कर सकते हैं।
conclusion
निष्कर्ष
यदि आपको चंद्रमा महादशा के बारे में अधिक जानकारी चाहिए या आपकी व्यक्तिगत स्थिति के लिए व्यक्तिगत सलाह चाहिए, तो एक विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह लेना सर्वोत्तम होगा। वे आपको आपके जन्म कुंडली के आधार पर विशेषज्ञता से मार्गदर्शन कर सकते हैं।
चंद्रमा महादशा का सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार से हो सकता है। चंद्रमा को ज्योतिष में चंद्रमा ग्रह के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है और इसे जीवन की भावनाओं, मनोवृत्तियों, भावुकताओं, संवेदनशीलताओं और आनंद की प्रतीक माना जाता है। यहां कुछ सकारात्मक प्रभाव दिए जाते हैं जो चंद्रमा महादशा के दौरान हो सकते हैं:
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