Thursday, December 14, 2023

Adhyatmik yog Sanyas Yog

 

ज्योतिष शास्त्र मे सन्यास योग 

ज्योतिष मे कुछ ग्रह और उनकी युति मनुष्य को संन्यास की राह पर ले जाती है। मानव जीवन में एक वक्त ऐसा आता है जब वह अपनी जिंदगी के सारे भोग विलास और ऐशो-आराम को छोड़कर, अपने परिवार से विरक्त  होकर एकांतवासी बन जाता है, यानी सांसरिक सुख-सुविधा को छोड़कर तपस्वी का जीवन अपना  लेता है। लेकिन इसके साथ ग्रहों का योग  भी जरूरी है कि मनुष्य संन्यास ग्रहण करने के बाद उस राह पर आगे बढ़ता चला जाए।ज्योतिषशास्त्र में कुछ ऐसे योगों का जिक्र किया गया है जिनके कुंडली में उपस्थित होने पर व्यक्ति काम वासना, धन-दौलत और सुख सुविधाओं की चाहत से दूर रहता है. ऐसे व्यक्ति को संसारिकता की बजाय संन्यास पसंद होता है.

Adhyatmik yog Sanyas Yog


प्राचीन आश्रम व्यवस्था के अनुसार मानव जीवन को चार भागों में बांटा गया है . मानव जीवन की यात्रा ब्रह्मचर्य से शुरू होकर संन्यास पर खत्म होती है. 

इस बीच मनुष्यी जिंदगी की इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव भी आते हैं, जिनका पालन मनुष्य को करना पड़ता है. 

अगर नवम भाव का स्वामी बलवान है, वो नवम या पंचम में विराजमान है। अगर उस पर गुरु शुक्र की दृष्टि हो अथवा साथ मे  बैठे हो तो जातक उच्च कोटि का मन्त्र ज्ञाता होगा। उसके हाथ में मन्त्र खेलते हैं। 

वैदिक ज्योतिष में ऐसे कई सूत्र है जिनके माध्यम से यह ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति आध्यात्म मे कितनी ऊंचाई तक जाएगा। कुछ लोग सिर्फ मंदिर जाकर रह जाते हैं, कुछ पुराण वेद पढ़ लेते हैं लेकिन मनन नहीं करते। कुछ विरले ऐसे होते हैं जिनके हाथों में मंत्र खेलते हैं। जिनकी लेखनी, विचार और आवाज में कुछ जादू सा होता है। ऐसे व्यक्ति संसार का सब सुख छोड़कर संन्यासी जीवन जीते हैं। आइये जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसे कौन से योग हैं जो जातक को उच्च कोटि का साधक बना देते हैं। संन्यास योग को प्रवज्या योग के नाम से भी जाना जाता है।

ज्योतिष में संन्यास योग का क्या अर्थ है?

संन्यास योग वैदिक ज्योतिष का एक अनूठा पहलू है जो ग्रहों और भावों के योग से संबंधित है। संन्यास योग में सूर्य, चंद्रमा, शनि और मंगल जैसे ग्रह व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जिन लोगों की कुंडली में संन्यास योग होता है उन्हें सभी सांसारिक सुखों को त्यागकर एक संन्यासी के रूप में अपना जीवन जीना होगा।

हालाँकि, वैदिक ज्योतिष में, संन्यास योग को ग्रहों के योग के रूप में जाना जाता है जो आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। इस योग का 11वें भाव मे बहुत महत्व है क्योंकि यह आध्यात्मिकता का भाव है। इसके अलावा, संन्यास योग की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति को खुद को संन्यासी में परिवर्तित करना होगा, बल्कि यह व्यक्तिगत निर्णयों पर निर्भर करता है। 

कुंडली में संन्यास योग का महत्व

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, संन्यास योग योग का एक महत्वपूर्ण तत्व है जो सभी सांसारिक सुखों को पीछे छोड़ने और अस्थायी इच्छाओं से वैराग्य के महत्व पर प्रकाश डालता है। इसके अलावा, यह योग व्यक्तियों को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और जन्म और मृत्यु की क्रांति से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। हालाँकि, आत्म-ध्यान, जीवन में अनुशासन को अपनाना और निस्वार्थ सेवा प्रदान करने जैसे अभ्यास व्यक्तियों को आंतरिक शांति प्राप्त करने और उनके वास्तविक स्वरूप का एहसास करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, यह अपने सच्चे स्व की खोज करने और परमात्मा के साथ जुड़ने का एक तरीका है।

इसके अलावा सन्यास योग वाले जातक आध्यात्म के प्रति समर्पित होते हैं और प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा को अधिक महत्व नहीं देते हैं। वे अच्छे कर्म करने और विनम्र रहने के लिए खुद को समर्पित करते हैं। साथ ही, ये लोग काम करना और अपना पेशा बनाना चुनते हैं जहां वे अपनी चिंता किए बिना लोगों को कुछ देने के लिए खुद को समर्पित कर सकें। इसके अलावा, लोगों को जीवन में उनके संबंधित प्रश्नों और शंकाओं के उत्तर खोजने में मदद करने के लिए उन्हें पढ़ाना या परामर्श देना जैसे पेशे भी शामिल हैं। इसके अलावा, ग्रहों की उपस्थिति अशुभ होने पर वैदिक ज्योतिषियों से परामर्श लेकर संन्यास योग को रद्द किया जा सकता है।

ज्योतिषीय योग जो सन्यास योग का कारण बनते हैं

संन्यास योग व्यक्तिगत जन्म कुंडली में ग्रहों और भावों के योग के कारण बनता है जो लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। वैदिक ज्योतिष में इस योग को मोक्ष भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है जीवन की सभी भौतिक चीजों से मुक्ति। तो, उन ग्रहों और भावों के बारे में जानने के लिए नीचे पढ़ते रहें जो एक साथ मिलकर किसी की जन्म कुंडली में संन्यास योग बनाते हैं।

प्रव्रज्यायोग वाले संन्यासी के लक्षण

  • एक संन्यासी को विद्वान, ठोस तर्क वाला, गहरा दार्शनिक और स्पष्ट एवं सुव्यवस्थित सोच वाला होना चाहिए।
  • आवश्यक रूप से गहरा धार्मिक नहीं, बल्कि सत्य की खोज करने वाला व्यक्ति
  • परिवार, समाज और सांसारिक सुखों से अलग
  • यदि सूर्य सबसे मजबूत ग्रह है तो उच्च नैतिक और बौद्धिक कौशल वाला व्यक्ति दूरदराज के स्थानों में गंभीर और कठिन प्रथाओं का चयन करेगा।
  • यदि चंद्रमा हो तो एकांत में शास्त्रों का अध्ययन अधिक करें।
  • बुध हो तो दूसरों के दर्शन से आसानी से प्रभावित होने वाला होता है
  • यदि यह मंगल है, तो वह व्यक्ति जो लाल रंग के कपड़े पहनना पसंद करता है और जो अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखने के लिए संभाव्ष करता है
  • बृहस्पति हो तो अपनी ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखने वाला होता है
  • शुक्र हो तो भटकता भिक्षुक।
  • यदि सबसे मजबूत ग्रह शनि है तो यह व्यक्ति को अत्यधिक कठोर आचरण अपनाने पर मजबूर करता है।

सन्यास योग केल्कुलेटर

  • जब एक भाव में चार या अधिक ग्रह एक साथ हों और उनमें से कोई भी कमजोर या अशुभ न हो।
  • जब दशम भाव का स्वामी चार या अधिक ग्रहों के साथ एक ही राशि में हो।
  • यदि सन्यास योग केन्द्र या त्रिक भाव में  है तो शुभ रहता है।
  • यदि सन्यास योग केंद्र या त्रिक भाव के अलावा किसी अन्य भाव में  है तो इसका परिणाम विवादास्पद जीवन हो सकता है। उदाहरण के लिए, ओशो रजनीश की कुंडली में आठवें भाव में पांच ग्रह संन्यास योग बनाते हैं। इसलिए वह हमेशा विवादों में घिरे रहे हैं। 

सन्यास योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति स्वयं को समाज से अलग कर लेता है।

सन्यास योग कब बनता है

  • दूसरा भाव परिवार का होता है, चौथा भाव मांता का है और सप्तम भाव पत्नी का है। मनुष्य जीवन में इन्ही से ज्यादा भावनात्मक संबंध मे रहता है। अगर इन भावों के स्वामी या इन भावों पर बलवान शनि या केतु का प्रभाव हो तो जातक भावुकता छोड़ता है। 
  •  किसी भी कुंडली में लग्न जातक का शरीर है और चंद्र उसका मन है। अक्सर देखा गया है कि लग्न और चंद्र पर शनि केतु का प्रभाव जातक को अन्वेष्ण करने की बुद्धि देता है। उसका सोचने का तरीका आम आदमी से अलग होता है। 
  •  अगर लग्न का स्वामी मंगल, गुरु या शुक्र हो और  कुंडली में लग्न पर शनि की दृष्टि हो साथ ही नवम भाव में गुरु विराजमान हों तो जातक धार्मिक स्थल की यात्रा करता है और अचानक से संन्यास लेता है। 
  • अगर दशम भाव का स्वामी 4 बलवान ग्रह के साथ (जिसमें शनि केतु भी होने चाहिए) अष्टम भाव में विराजमान हो तो राजा भी सन्यास धरण करके सब कुछ छोड़ देता है। 
  •  अगर नवम भाव का स्वामी बलवान है, और नवम या पंचम में विराजमान है। अगर उस पर गुरु शुक्र की दृष्टि हो अथवा दोनों की युति हो तो जातक उच्च कोटि का मन्त्र ज्ञाता होगा। उसके हाथ में मन्त्र खेलते हैं। 
  •  अगर संन्यास योग में दशम भाव का स्वामी बलवान नहीं है,अस्त या निर्बल है या सप्तम भाव में बैठा है तो निश्चित ही ऐसा जातक लंपट होगा। सिर्फ दिखावा करता है और मन से कामुक होता है। 
  • अगर शुक्र का बेहद बलवान योग अष्टम और दशम से बने तो ऐसा जातक आधुनिक होते हुए भी मन्त्र को समझने वाला होगा। ऐसा व्यक्ति भौतिक संसार में रहकर ही विद्या से धन कमाता है। 
  •  सूर्य शनि और गुरु का बलवान योग अष्टम भाव में होना चाहिए। इसमें कोई ग्रह अस्त न हो और 1 ग्रह उच्च का हो तो जातक मंदिरों का निर्माण करवाने वाला होगा। राजाओं से धन लेकर धर्म के काम करवाने वाला संन्यासी होगा। 
  •  शील प्रभुपाद, गौतम बुद्ध, रजनीश ओशो, श्री अरविंदो, मोरारी बापू । इन सबकी कुंडली में दशम भाव का स्वामी 3 से अधिक ग्रहों के साथ विराजमान होकर कार्य सिद्धि दे रहा है। ओशो की कुंडली में 5 ग्रह अष्टम भाव में थे। 
  •  केतु और गुरु मोक्ष कारक होते हैं। द्वादश भाव जेल यात्रा, कष्ट, हानि के साथ ही मोक्ष भी है। शनि केतु गुरु इस भाव में जातक से तपस्या करवाते है और जातक मुसीबतों के बाद निखर जाता है। फिर धन आने के बाद भी मोह नहीं रहता और संसार छोड़ देता है।

प्रसिध्ह व्यक्तित्व 

आचार्य रजनीश की कुंडली 

-जब भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चार या चार से अधिक ग्रहों की युति होती है तो उसे प्रवज्या योग कहा जाता है जो कि एक प्रबल योग है।यहां आचार्य रजनीश की कुंडली में भी यह ग्रह स्थिति है, यह योग संन्यास योग की तरह ही प्रबल होता है। ओशो ने भी अपना जीवन सन्यासी बनकर बिताया 

Adhyatmik yog Sanyas Yog

-स्वामी विवेकानंद कुंड़ली का अध्ययन

बुध और शुक्र ग्रह मकर राशि में दूसरे भाव में विराजमान  थे। मंगल ग्रह पंचम भाव में  स्वराशि मेष में विराजमान  थे। केतु छटे भाव में वृषभ राशि में विराजमान थे। चंद्रमा और शनि दशम भाव में कन्या राशि में विराजमान थे।

Adhyatmik yog Sanyas Yog

रामकृष्ण परमहंस: 

रामकृष्ण परमहंस इतने महान रहस्यवादी थे कि उनकी मृत्यु के कुछ ही समय बाद उन्हें अवतार या दिव्य अवतार के रूप में सम्मानित किया जाने लगा। यह स्पष्टतः एक अत्यधिक आध्यात्मिक चार्ट है। कुंभ स्वयं अक्सर एक आध्यात्मिक लग्न होता है, जो मजबूत विश्वास, पूजा की शक्ति और समर्पण देता है। यहां इसमें सूर्य और चंद्रमा दोनों शामिल हैं: एक ट्रिपल कुंभ, ताकि सभी ग्रह कारक तीनों लग्नों (लग्न, सूर्य और चंद्रमा) को प्रभावित करें। तीनों लग्नों का स्वामी, शनि, धर्म के नौवें घर, तुला राशि में उच्च का है, जो उन सभी के लिए दिव्य कृपा और आध्यात्मिक अनुशासन लाता है।

Adhyatmik yog Sanyas Yog

FAQ

1. संन्यास योग क्या है?

संन्यास योग वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति का एक संयोजन है जो आध्यात्मिक गतिविधियों, त्याग और सांसारिक मामलों से अलगाव की इच्छा के प्रति एक मजबूत झुकाव का संकेत देता है। यह एक व्यक्ति के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग अपनाने और त्याग का जीवन जीने की क्षमता का सुझाव देता है।


2. संन्यास योग कैसे बनता है?

संन्यास योग आमतौर पर तब बनता है जब ग्रहों का एक विशिष्ट संयोजन, मुख्य रूप से सूर्य और शनि, किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कुछ घरों या राशियों में स्थित होते हैं। सटीक गठन अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसमें अक्सर अन्य विशिष्ट ग्रह स्थितियों के साथ-साथ सूर्य और शनि की युति या परस्पर दृष्टि शामिल होती है।


3. संन्यास योग के लक्षण क्या हैं?

संन्यास योग आध्यात्मिक मुक्ति के लिए गहरी लालसा, भौतिक संपत्ति से वैराग्य और उच्च सत्य की खोज करने की इच्छा का सुझाव देता है। संन्यास योग वाले व्यक्ति आध्यात्मिक प्रथाओं, ध्यान, आत्म-जांच और सादगी के जीवन की ओर एक मजबूत खिंचाव महसूस कर सकते हैं। उनमें सांसारिक मोह-माया को त्यागने और खुद को आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए समर्पित करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति हो सकती है।


4. क्या संन्यास योग का मतलब यह है कि व्यक्ति को त्यागी बनना होगा?

जबकि संन्यास योग एक मजबूत आध्यात्मिक झुकाव और त्याग की क्षमता को इंगित करता है, इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को औपचारिक त्यागी बनना चाहिए या भिक्षु या नन का जीवन अपनाना चाहिए। यह वैराग्य और आध्यात्मिक खोज के लिए आंतरिक आह्वान का प्रतीक है। संन्यास योग वाले कुछ व्यक्ति मठवासी जीवन जीना चुन सकते हैं, जबकि अन्य सांसारिक जिम्मेदारियों में सक्रिय रूप से लगे रहते हुए खुद को आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए समर्पित कर सकते हैं।


5. क्या संन्यास योग को संशोधित या रद्द किया जा सकता है?

हां, जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति के प्रभाव से संन्यास योग को संशोधित या रद्द किया जा सकता है। समग्र ग्रह संयोजन और पहलू इस योग की शक्ति और अभिव्यक्ति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अन्य कारक, जैसे कि चंद्रमा, लग्न और अन्य ग्रहों की स्थिति, इस बात पर प्रभाव डाल सकते हैं कि किसी के जीवन में त्याग की ओर झुकाव महसूस किया गया है या व्यक्त किया गया है।


6. क्या संन्यास योग वाले प्रत्येक व्यक्ति को त्यागी बन जाना चाहिए?

नहीं, संन्यास योग वाले हर व्यक्ति का त्यागी बनना तय नहीं है। मठवासी जीवन अपनाने या आध्यात्मिक अभ्यास करने का निर्णय एक व्यक्तिगत पसंद है और यह व्यक्तिगत विश्वासों, परिस्थितियों और व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास सहित विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। संन्यास योग केवल ऐसे मार्ग के प्रति क्षमता और झुकाव को इंगित करता है, लेकिन किसी के जीवन विकल्पों को निर्धारित नहीं करता है।


यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष अंतर्दृष्टि और संकेत प्रदान कर सकता है, लेकिन यह किसी के भाग्य या जीवन विकल्पों को निर्धारित नहीं करता है। संन्यास योग और इसके प्रभावों की व्याख्या एक जानकार वैदिक ज्योतिषी द्वारा की जानी चाहिए जो जन्म कुंडली का व्यापक विश्लेषण कर सके और व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान कर सके।


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