Janam kundali ka Vishela yog : जनम कुंडली का विषैला योग
कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग होते हैं। शुभ योग जातक के जीवन में खुशिया लेकर आते हैं तो वहीं दूसरी ओर अशुभ योग परेशानियों को बढ़ावा देते हैं। विष योग एसा ही एक योग है । जब भी किसी जातक की कुंडली में विष योग बनता है तो जीवन मे परेशानिया आना शुरू हो जाती है। जीवन में एक के बाद एक परेशानी का दौर चलता रहता है। कुंडली में नकारत्मक बनने वाले योगों में से विष योग बहुत ही नकारत्मक योग है। यदि कुंडली में विष योग बनता है तो उस जातक को मानसिक परेशानी, कार्यों में विघन, कुंडली के जिस भाव में विष योग बन रहा हो उससे सम्बंधित परिणामों में रूकावट आती है।
जनम कुंडली में कैसे बनता है विष योग?
जातक की जनम कुंडली में यदि शनि और चंद्रमा या शनि और सूर्य युति बनाते है तब ये विष योग की उत्पत्ति करते है। जिसके कारण कई कष्ट जातक के जीवन में आते है। जन्म कुण्डली में आठवे स्थान पर राहू हो और शनि मेष, कर्क, सिंह, या वृष्चिक लग्न में हो तो भी विष योग का निर्माण होता है।जैसा कि नाम से पता चलता है, विष योग जातक के लिए एक जहरीला जीवन बनाता है। जब चंद्रमा और शनि युति बनाते हैं, तो विष योग प्रकट होता है।
अमावस्या की काली रात जो की शनि की होती है उसमेचंद्रमा नही निकलता है। इसी प्रकार शनि का पूर्ण अशुभ प्रभाव चंद्रमा पर हो तो जातक को चंद्रमा से संबंधित समस्यायों का सामना करना पड़ता है। चंद्र-शनि की युति से मानसिक बीमारी, भ्रम, रोग, दाम्पत्य जीवन में कष्ट आदि के साथ साथ जिस भाव में विष योग निर्मित होता है उस भाव का भी अशुभ फल प्राप्त होता है।
लग्नेश शनि से विष योग -
यदि जनमकुंडली में शनि लग्नेश होकर किसी अच्छे भाव में चंद्र से युति बनाकर बैठे हो तो विष योग का निर्माण नहीं होता है। आपको पता ही होगा कि जनमकुंडली में कभी भी लग्नेश जातक को नकारत्मक परिणाम नहीं देता है। मगर फिर भी यदि इस तरह के विष योग का निर्माण होता है तो जातक की ज़िंदगी में संघर्षों के बाद ही परिणामों की प्राप्ति होगी। शनि अपने स्वभाव के अनुसार ज़िंदगी मे संघर्ष जरूर देगा, मगर साथ में संघर्षों के बाद अच्छे परिणामों की भी प्राप्ति भी जरूर होगी।जनमकुंडली मे भाव अनुसार विष योग
जब चंद्रमा और शनि किसी भाव में युति संबंध बनाते हों तो विष योग बनता है।जब चंद्रमा और शनि का दृष्टिगत संबंध बन रहा
जब चंद्रमा पर शनि की ३, ७ एवं १०वीं दृष्टि पड़ रही हो।
जब कर्क राशि में शनि हो और चंद्रमा मकर राषि में हो और दोनों का स्थान परिवर्तन योग हो या शनि औरचंद्रमा विपरीत स्थिति में हो और दोनों की एक दूसरे पर दृष्टि हो तब विष योग बनता है।
सूर्य अष्टम भाव में,चंद्रमा षष्टम भाव में और शनि १२ वे भाव में होने पर भी विष योग का निर्माण होता है।
वृष, तुला, मकर और कुंभ लग्न वाले जातक के लिए शनि ऐश्वर्य प्रद, धनु व मीन लग्न में शुभकारी तथा अन्य लग्नों में वह मिश्रित या अशुभ फल देता है.शनि पूर्वजन्म में किये गये कर्मों का फल इस विषयोग की स्थिति मे जातक को प्रदान करता है। यदि जनमकुंडली में विष योग बन रहा हो और शनि षटबल में कमजोर हो और चंद्र पक्ष बलि हो तो विष योग का प्रभाव ना मात्रा या बहुत कम हो जाता है।
विष योग से लाभ –
जिस जातक की जनमकुंडली में विष दोष होता है वह जातक संघर्षों मे जीना सीख जाता है।इस विष दोष से ये फायदा होता है की जातक अकेले भी खुश रहता है।
इस दोष वाला जातक अपने सभी कार्यों को पूरी मेहनत से करता है।
ये दूसरे लोगों के प्रति दयालु होते हैं और सबकी मदद करते हैं
इस दोष वाला जातक अपने सभी कार्यों को पूरी मेहनत से करता है।
ये दूसरे लोगों के प्रति दयालु होते हैं और सबकी मदद करते हैं
Vish yog se hani विष योग से हानि-
- विष योग से सबसे बड़ा दोष ये होता है कि व्यक्तिआत्मविश्वास खो देता है।
- करियर को सफल होने में परेशानी होती है।
- ये आपके प्रेम संबंधों को समाप्त कर देता है।
- भाई- बहन के साथ संबंध खराब कर देता है।
- परिवार मे कलह क्लेश करवा देता है।
- इस विष का असर जातक के मन,मस्तिष्क पर भी पड़ता है।
- इस विष से जीवन में हर तरफ से तनाव की स्तिथि उत्पन हो जाती है।
- जनमकुंडली में विष योग के कारण आर्थिक, शारीरिक,मानसिक तौर पर भारी हानि उठानी पड़ती हैं।
- तनाव, चिंता के कारण जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। आपसी रिश्तों में कड़वाहट आने लगती है। दांप्त्य जीवन बर्बाद हो जाता है। हमारे मनोमस्तिष्क पर भी इसका बहुत बुरा असर होता है।
vish yog ke upay विष योग के उपाय -
- विष योग से पीड़ित लोगों को इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए दैनिक जीवन में कुछ विशेष उपाय करने चााहिए।
- प्रतिदिन शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
- हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- सोमवार और शनिवार के दिन भगवान शिव और शनि देव की उपासना करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से भी आपको बड़ा लाभ मिलेगा।
- आपको चंद्र ग्रह को बल देने के लिए मोती चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए या चांदी का लॉकेट गले में धारण करना चाहिए।
- चंद्र के बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हो।
- शनि मारक हो तो आपको शनि के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए और साथ में शनि से सबंधि वस्तुओं का दान करना चाहिए।
- यदि ज्योतिषीय उपाय किए जाये तो इस ‘विष योग’ के अशुभ परिणामों को कम किया जा सकता है।
- पूर्णिमा के दिन शिव मंदिर में रूद्राभिषेक करवाये।
- प्रतिदिन रूद्राक्ष की माला से कम से कम पाँच माला महामृत्युन्जय मंत्र का जाप करे।इस क्रिया को शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरम्भ करें।
- माता एवं पिता के चरण छूकर आर्षीवाद ले।
- शनिवार के दिन कुए में दूध चढ़ाये।
- श्री सुन्दर कांड का 51 पाठ करें।
- किसी हनुमान जी के मंदिर में या पूजा स्थान में शुद्ध घी का दीपक जलाकर पाठ करें, पाठ प्रारम्भ करने के पूर्व अपने गुरू एवं श्री हनुमान जी का आवाहन अवश्य करें।
- श्री हनुमान जी को शुद्ध घी एवं सिन्दूर का चोला चढ़ाये श्री हनुमान जी के दाहिने पैर का सिन्दूर अपने माथे में लगाए।
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