Tuesday, November 21, 2023

Janam Kundali me Pitru Dosh


Janam Kundali me Pitru Dosh-

Pitru Dosh,pret dosh,shrap dosh,pitru dosh prabhav,pitru dosh karan,pitru dosh anushthan, pitru dosh nivaran 
Kundali me Pitru Dosh


Introduction 

परिचय

ज्योतिष में कालसर्प योग के बाद अगर कोई दोष शोध का कारण बना है तो वो है ‘पितृ दोष’, दरअसल कालसर्प दोष की तरह ही ऐसा दोष है जिसमें व्यक्ति को वेसे ही परिणाम मिलते हैं। जिस तरह कालसर्प दोष में राहु का प्रभाव अधिक रहता है, वेसे ही इस दोष में राहु के साथ-साथ ही शनि का दोष भी समान रूप से प्रभावी होता है। सूर्य आत्मा का कारक है वही वैदिक ज्योतिष में इसे पिता का भी कारक कहा गया है, राहु और शनि जब सूर्य को प्रभावित करते है तो ‘पितृ दोष’कुंडली मे बनता है इस दोष में जरूरी है की सूर्य राहु से युति होना चाहिए और उस पर शनि की दृष्टि भी होनी चाहिए। दूसरी ओर अगर शनि सूर्य के साथ हो या राहु उसे देख रहा हो तो भी विद्वानों से इसे ‘पितृ दोष’ कह जाता है।

ज्योतिषशास्त्र मे माना गया  है की यदि जनम कुंडली मे 5 भाव और 9 भाव में ऐसी ग्रह स्थिति हो तो व्यक्ति को ‘पितृ दोष’ से पीड़ित जानना चाहिए । पंचम भाव को पूर्व जन्म का भाव माना गया है वही 9 वा भाव उससे 5वा भाव यानी धर्म का भाव होने के कारण विद्वानों ने ऐसा कहा है।
अगर चन्द्रमा भी शनि राहु से पीड़ित हो तो व्यक्ति को ननिहाल का दोष लगता है। इसके अलावा अगर सूर्य चंद्र दोनों पीड़ित हो तो बेहद नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के ऊपर पड़ता है।

दरअसल राहु चंद्रमाँ को कमजोर करता है वही शनि उस युति को और प्रभाव देता है जिससे व्यक्ति जीवन भर सम्मानित जीवन को तरस जाता है और उसे कहीं भी शांति नहीं मिलती है। हमारे धर्म में पितरों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और जीवित ही नहीं बल्कि मरने के बाद भी हम उनके लिए श्राद्ध कर्म करते है।

अगर किसी व्यक्ति की जनम कुंडली में पितृ दोष बन रहा है तो उसे श्राद्ध पक्ष में किसी विद्वान पंडित से इस दोष की शांति करवानी चाहिए। अगर किसी की जनम कुंडली नहीं है तो भी विद्वानों ने पितृ दोष के कुछ लक्षण कहे है।

Effect of Pitrudosh  

पितृ दोष का व्यक्ति के जीवन मे प्रभाव -

Effact in personal Life 

व्यक्तिगत जीवन मे प्रभाव -

फॅमिली में किसी की अकाल मृत्यु या एक्सीडेंट हो तो यह पितृ दोष का संकेत है. बार-बार एक्‍सीडेंट होना भी पितृ दोष के लक्षण है. - घर में किसी सदस्‍य का बार-बार बीमार होना और लंबे समय तक बीमारी का चलना. परिवार में विकलांग बच्चे का जन्म होना। परिवार मे गर्भपात होना ।

Effect of married life 

वेवहिक जीवन मे प्रभाव -

व्यक्ति के विवाह मे विलंब होता है , या विवाह नहीं होता है ,यदि विवाह हो भी जाता है तो ,पितृ दोष होने पर वैवाहिक जीवन में सदा तनाव बना रहता है. पति-पत्नी के बीच आए दिन लड़ाई झगड़े होते हैं. परिवार में एकरसता नहीं होती. अक्सर घर में कलह क्लेश होते रहते है, मानसिक परेशानिया बनी रहती है , बिना बात के घर में लड़ाई होना पितृ दोष के लक्ष्ण हैं।

Effect of children https://in.pinterest.com/pin/672091944418077371/

संतान पक्ष का प्रभावित होना -

संतान का न होना ,स्त्री का बार बार गर्भपात होना ,बच्चा पैदा होकर मर जाना ,विकलांग संतान का होना ,संतान होने पर भी संतान का सुख न मिल पाना,संतान का गलत रास्ते पर चलना,माता-पिता की आज्ञा न मानना ,संतान का बुराई के रास्ते पर चलना आदि ,सभी पितृ दोष के लक्षण है ।

Effect in job and business 

नौकरी और व्यवसाय पर प्रभाव -

योग्यता होते हुए भी नौकरी का न मिल पाना ,नौकरी मिल जाने पर भी हमेशा परेशानी का बना रहना ,व्यवसाय का न चल पाना या आकस्मिक घाटा होना
व्यवसाय का बंद हो जाना ।

Effect in education 

शिक्षा पर प्रभाव - 

शिक्षा का पूरा न हो पाना,शिक्षा मे रुकावट ,पढ़ाई मे मन न लगना ,बहुत प्रयास के बाद भी पढ़ाई का पूरा न हो पाना ।

REMEDY FOR PITRU DOSH 

पितृ दोष खतम करने के उपाय -

  1. पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ अधिक संख्या मे लगाए

2.पानी में काले तिल मिलाकर श्राद्ध पक्ष मे दक्षिण दिशा में अर्घ्य देने से पितृ तृप्त होते है।

3.अमावस्या और पितृ पक्ष में नदी तट पर श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करने चाहिए। इससे पितर प्रसन्न होते हैं।

4.पितृ दोष को दूर करने के लिए गरीब,बेसहारा ,जरूरतमन्द लोगो को दान देते रहना चाहिए।

5.ज्योतिष मे तुलसी को विशेष महत्व दिया गया है। रोज़ सुबह और शाम को तुलसी की पूजा करना और सिर पर लगाना पितृ दोष को ठीक करने में मदद करता है।

6.गौ मुद्रा को श्रद्धांजलि और पितरों के प्रति समर्पण का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने से पितृ दोष को कम किया जा सकता है

7.पितृ दोष को ठीक करने के लिए किसी विशेष मन्त्र का जाप करना भी किया जा सकता है। "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" जैसे मन्त्रों का नियमित जाप करना लाभकारी हो सकता है।


Conclusion https://youtu.be/IiN-hcpgYH4

निष्कर्ष:

पितृदोष का सही तरह से समझना और उसके उपाय करना

पितृदोष एक गहरा विषय है जो हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका अर्थ है पूर्वजनों के प्रति अनदेखा या अनादर का अभाव, जिससे व्यक्ति के जीवन मे दुख प्राप्त होते है

पितृदोष के प्रकारों में हमने देखा कि इसमें कुटुंबिक दोष, संतान दोष, और सम्बंधित दोष शामिल हो सकते हैं। इन दोषों का समाधान करने के लिए विशेष उपायों की आवश्यकता है जिसकी जानकारी हमने उपरोक्त लेख मे दी है ।

पितृदोष का प्रभाव व्यक्ति और समाज पर हो सकता है, इस पर हमने चर्चा की है। धार्मिक दृष्टिकोण से, इसे निवारित करने के लिए हवन, पूजा, और आध्यात्मिक अनुष्ठानों की आवश्यकता होती है।

पितृदोष को ठीक करने के उपायों में हमने देखा कि धार्मिक परंपरा कैसे इसे सुलझाने का प्रयास करती है। इसे सही तरीके से समझने और निष्कर्ष निकालने के बाद, हम यहां कह सकते हैं कि पितृदोष एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे हमें समझना और समाधान करना आवश्यक है।

आत्मा संबंधित परिप्रेक्ष्य से देखते हुए, हमने देखा कि पितृदोष को कैसे आत्मा के प्रति विचारशील दृष्टिकोण से समझा जा सकता है। इससे हमारे आत्मिक और सांस्कृतिक संबंधों में सुधार हो सकता है और हम अपने पूर्वजनों के प्रति आदर्श रूप से बरत सकते हैं।

समाप्त में, हम यह समझते हैं कि पितृदोष एक ऐसा सूत्र है जो हमारे परिवार और समाज के बीच संतुलन और समृद्धि की ओर बढ़ा सकता है, अगर हम इसे सही दृष्टिकोण से समझें और इससे सही तरीके से निपटें।

No comments:

Post a Comment

जन्म कुंडली में लक्ष्मी योग

 जन्म कुंडली में लक्ष्मी योग:- त्रिनेत्र भाव 1,5,9 को लक्ष्मी स्थान माना जाता है। क्योंकि ये भाव हमारे पूर्वपुण्य से जुड़े हुए हैं। आप इन गृ...